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SIR पर संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा, विपक्षी सांसदों ने की नारेबाजी

Ruckus in Parliament over SIR: लोकसभा में सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) समेत कुछ मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में नारेबाजी की। इस कारण लोकसभा की कार्यवाही पहले...
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वीडियोग्रैब। संसद टीवी
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Ruckus in Parliament over SIR: लोकसभा में सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) समेत कुछ मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में नारेबाजी की। इस कारण लोकसभा की कार्यवाही पहले 12 बजे तक और फिर दोपहर 2 बजे तक, जबकि राज्यसभा की कार्यवाही भी 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में हंगामे के कारण कार्यवाही शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई और अध्यक्ष ओम बिरला ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों को सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने की चेतावनी दी।

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सदन की बैठक शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया। इसी दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्य एसआईआर के मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे। बिरला ने कुछ देर तक शोर-शराबे में ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी और कॉर्पोरेट कार्य राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कुछ सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए। लोकसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाकर बैठने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया।

उन्होंने विपक्षी सांसदों से कहा, ‘‘यह प्रश्नकाल है। जितनी जोर से आप नारेबाजी कर रहे हैं, उतना जोर लगाकर यदि प्रश्न पूछेंगे तो देश की जनता का कल्याण होगा।''

बिरला ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों से नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘आपको जनता ने सरकारी संपत्ति तोड़ने के लिए नहीं भेजा है। मैं चेतावनी दे रहा हूं कि किसी भी सदस्य को यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह सरकारी संपत्ति को तोड़ने का प्रयास करे।''

उन्होंने विपक्षी सांसदों को चेतावनी दी, ‘‘अगर आपने सरकारी संपत्ति को तोड़ने का प्रयास किया तो मुझे कुछ निर्णायक कदम उठाने पड़ेंगे और देश की जनता यह सब देखेगी। कई विधानसभाओं के अदंर इस तरह की घटनाओं पर सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। सरकारी संपत्ति को तोड़ने का प्रयास नहीं करें।''

राज्यसभा की बैठक शुरू होने के पांच मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक स्थगित

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के पांच मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। हंगामे की वजह से उच्च सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया।

बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने बताया कि उन्हें सदन का नियत कामकाज स्थगित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए 19 नोटिस मिले हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से 11 नोटिस में जिन मुद्दों पर चर्चा के लिए कार्य स्थगन की मांग की गई है वे मुद्दे अदालतों में विचाराधीन हैं अत: उन पर चर्चा नहीं हो सकती। हरिवंश ने बताया कि अन्य नोटिस नियमों के अनुसार उपयुक्त नहीं पाए गए। उन्होंने बताया कि सभी नोटिस खारिज कर दिए गए हैं।

विपक्षी सदस्यों ने नोटिस खारिज किए जाने पर कड़ा विरोध जताया और हंगामा करने लगे। कुछ सदस्य अपने स्थानों से उठकर आगे भी आ गए। उपसभापति ने सदस्यों से शांत रहने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने भाजपा के दिनेश शर्मा से शून्यकाल के तहत अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। शर्मा ने अपनी बात रखनी शुरू की लेकिन हंगामे के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील की।

उन्होंने कहा, ‘‘कृपया शून्यकाल चलने दें। यह महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें सदस्य अपने-अपने मुद्दे उठाते हैं।'' अपनी बात का असर न होते देख उपसभापति ने 11 बजकर पांच मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। इससे पहले पूर्व सदस्य ला गणेशन के निधन पर सदन में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। गणेशन का 15 अगस्त को 80 साल की उम्र में निधन हो गया था। संसद के मानसून सत्र की 21 जुलाई से शुरुआत से ही सदन में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और उनके हंगामे की वजह से, इस सत्र के दौरान राज्यसभा में एक बार भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया है।

लोकसभा ने जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक प्रवर समिति को भेजा

लोकसभा में सोमवार को जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया जिसे सदन ने अध्ययन के लिए प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह विधेयक पेश किया। विधेयक में जीवन की सुगमता और कारोबार करने की सुगमता के लिए विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और तर्कसंगत बनाने के लिए कुछ विधानों का संशोधन करने का प्रावधान है। विधेयक पेश करने के बाद गोयल ने इसे लोकसभा की प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। समिति से संबंधित नियम और शर्तें लोकसभा अध्यक्ष तय करेंगे। समिति संसद के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

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