Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

नेपाल में उथल-पुथल... चिंता Red-light Area सोनागाछी में बढ़ी, जानें क्या है यहां का संबंध

Red-light area Sonagachi: नेपाल में व्याप्त अशांति की लहरें लगभग 800 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट जिले कोलकाता के सोनागाछी तक पहुंच गई हैं, जहां नेपाली मूल की यौनकर्मी अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

Red-light area Sonagachi: नेपाल में व्याप्त अशांति की लहरें लगभग 800 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट जिले कोलकाता के सोनागाछी तक पहुंच गई हैं, जहां नेपाली मूल की यौनकर्मी अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रही हैं।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को छात्रों के नेतृत्व में हुए उग्र विद्रोह के दबाव में अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने नेपाल को राजनीतिक रूप से आग में झोंक दिया है। प्रदर्शनकारियों ने वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी, पार्टी कार्यालयों पर धावा बोल दिया, संसद में तोड़फोड़ की और सत्तारूढ़ दलों को हिलाकर रख दिया। इसकी शुरुआत ओली सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए विवादास्पद प्रतिबंध से हुई, जिसने बड़े पैमाने पर जनाक्रोश को जन्म दिया।

Advertisement

एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोलीबारी में 19 लोगों की जान चली गई थी, जिससे सड़कों पर गुस्सा और भड़क गया था। इस घटनाक्रम का कोलकाता में विशेषकर सोनागाछी में प्रभाव पड़ा है, जहां नेपाली महिलाओं का एक वर्ग अब भी देह व्यापार में संलग्न है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनकी संख्या में कमी आई है।

यह भी पढ़ें:Nepal Gen Z Protest:  सेना ने संभाली सुरक्षा की कमान, लोगों को घरों के अंदर ही रहने के निर्देश

कालीघाट से लेकर हावड़ा और हुगली के छोटे वेश्यालयों तक, कभी यौनकर्मियों में नेपाली लोगों की बड़ी संख्या थी और सोनागाछी में अब भी उनमें से कई मौजूद हैं। इस परिस्थिति में अब वे खुद को अनिश्चितता में फंसा हुआ पाती हैं, जो अपने परिवारों से संपर्क करने या घर पैसे भेजने में असमर्थ हैं। नेपाल के हवाई अड्डे बंद हैं, अंतरराष्ट्रीय सीमाएं सील हैं और संचार नेटवर्क पूरी तरह से ठप हो गया है।

एक दशक से सोनागाछी में रह रही पूर्वी नेपाल की एक यौन कर्मी ने कहा, "तीन दिन हो गए, मैंने अपनी मां से बात नहीं की है। जब भी मैं फोन करने की कोशिश करती हूं तो नेटवर्क डाउन बताता है। मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह सुरक्षित हैं भी या नहीं।"

दूसरी एक महिला ‘पीटीआई-भाषा' से बात करते हुए रो पड़ी, "मैं हर महीने अपने दो बेटों को पैसे भेजती हूं जो पोखरा के पास रिश्तेदारों के साथ रहते हैं। इस महीने, मुझे नहीं पता कि मैं कुछ भेज पाऊंगी भी या नहीं। अगर उन्हें पैसे नहीं मिले तो मेरे बच्चे खाएंगे कैसे?"

तात्कालिक चिंता नेपाल में उनके परिवारों के जीवनयापन की है, भले ही कोलकाता से भेजी जाने वाली राशि बहुत कम होती है लेकिन यह वहां ग्रामीण भागों में रह रहे उनके परिवारों के लिए जीवन रेखा का काम करती है। अचानक व्यवधान से न केवल वित्तीय तनाव पैदा हुआ है बल्कि उनकी असहायता की भावना भी बढ़ गई है।

सोनागाछी में एक और नेपाली महिला ने कहा, "अगर हम घर जाना भी चाहें तो कोई रास्ता नहीं है। सीमा बंद है, उड़ानें रद्द हैं। हम यहां फंसे हैं और हमारे परिवार वहां फंसे हैं। हम बेबस हैं।"

यौनकर्मियों के हित में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी यही आशंकाएं जताईं। यौनकर्मियों के बच्चों को सहायता देने वाले संगठन 'आमरा पदातिक' की महाश्वेता मुखोपाध्याय ने कहा, "वे पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं।"

उन्होंने कहा, "इन महिलाओं का परेशान होना स्वाभाविक है। वे न तो अपने परिवारों से संपर्क कर पा रही हैं और न ही यह सुनिश्चित कर पा रही हैं कि उनके द्वारा भेजी गई रकम वहां तक पहुंचेगी या नहीं।'' मुखोपाध्याय ने कहा, "हम कुछ यौनकर्मियों और हमारे एनजीओ के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और ऐसा रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे जिससे वे अपने परिवारों से बात कर सकें और पैसे घर भेज सकें।"

रेड-लाइट जिले सोनागाछी में नेपाली मूल की लगभग 200 यौनकर्मी हैं। पिछले कई दशकों से कोलकाता के रेड-लाइट क्षेत्रों में नेपाली महिलाओं की मौजूदगी देखी जाती रही है। अक्सर उन्हें भारत-नेपाल की खुली सीमा के रास्ते तस्करी कर लाया जाता है और बेहद कठिन परिस्थितियों में उन्हें इस व्यवसाय में धकेल दिया जाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में उनकी संख्या में कमी आई है, आंशिक रूप से कड़ी सीमा निगरानी और तस्करी के बदलते तरीकों के कारण। लेकिन जो बची हैं, वे सबसे असुरक्षित हैं और नेपाल में मौजूदा उथल-पुथल जैसे संकटों के कारण उनके पास कोई सुरक्षा कवच नहीं है।

Advertisement
×