नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (एजेंसी)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के विरुद्ध नहीं हो सकती। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के 13वें स्थापना दिवस पर शाह ने यहां कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग और आतंकवादियों की मदद कर समाज में सम्मानपूर्वक जिंदगी जी रहे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है।
आतंकवाद को समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई देश है जो आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित रहा है, तो वह भारत है। शाह ने एनआईए और अन्य सुरक्षा संगठनों के अधिकारियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘मानवाधिकार संगठनों के साथ मेरे कुछ मतभेद हैं। जब भी कोई आतंकवाद विरोधी कार्रवाई होती है, तो कुछ मानवाधिकार समूह इस मुद्दे को उठाने के लिए आगे आ जाते हैं। लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद से बड़ा कोई मानवाधिकार उल्लंघन नहीं हो सकता। यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे बड़ा रूप है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई, मानवाधिकार के विरुद्ध नहीं हो सकती। मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए यह नितांत जरूरी है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाए।’ गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि एनआईए ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ मामले दर्ज किये, जिससे जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में काफी हद तक मदद मिली।
मजबूत अांतरिक सुरक्षा जरूरी :
गृह मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में एक अहसास है कि भारत के बिना कोई लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता- चाहे वह पर्यावरण, आर्थिक विकास, समान विकास या आतंकवाद को समाप्त करने का लक्ष्य हो। उन्होंने कहा कि भारत के बिना ऐसे लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते और इसलिए देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित और मजबूत करना नितांत आवश्यक है। शाह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने भारत के लिए 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। इसे हासिल करने के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।’