नयी शिक्षा नीति का त्रि-भाषा फार्मूला देश के लिए अच्छा : रिजिजू
केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रिजिजू दक्षिणी क्षेत्र के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) पर क्षेत्रीय समीक्षा बैठक और प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल होने के लिए तिरुवनंतपुरम में थे। रिजिजू ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन हिन्दी उनकी मातृभाषा नहीं है, उनकी मातृभाषा गुजराती है। हमारे गृह मंत्री अमित शाह की मातृभाषा भी गुजराती है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मातृभाषा उड़िया है और मेरी मातृभाषा अरुणाचली है, लेकिन हम अपने देश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, ‘हमें देश को धर्म या भाषा के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।' रिजिजू ने कहा, ‘हम सभी भारतीय हैं; आइए हम सब मिलकर काम करें और प्रधानमंत्री मोदी जी ने लगातार कहा है कि भारत में हर क्षेत्र, हर समुदाय और हर कोई समान है तथा सभी को समान संरक्षण और समान वरीयता दी जाएगी, इसलिए हमें देश को जाति, पंथ, धर्म या समुदाय या राज्य या क्षेत्र के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।' उनका यह बयान एनईपी 2020 के खिलाफ तमिलनाडु सरकार के कड़े विरोध के बीच आया है। तमिलनाडु सरकार ने त्रि-भाषा नीति को लेकर चिंता जताई है और केंद्र पर ‘हिंदी थोपने का प्रयास' करने का आरोप लगाया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपना दृढ़ रुख दोहराते हुए कहा कि यदि केंद्र 10,000 करोड़ रुपये की धनराशि की पेशकश भी करता है तो भी वह एनईपी को लागू करने पर सहमत नहीं होंगे। इसके विपरीत, खबरों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र के प्रति पुरजोर समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने न केवल तीन बल्कि कई भाषाओं को सीखने की वकालत की।