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बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से फिर कांपे पहाड़

मंडी में पांच लोगों की मौत ; शिमला में कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त
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देहरादून में मंगलवार को बादल फटने के बाद तबाही का मंजर। (इनसेट : शिमला में भूस्खलन की चपेट में आए वाहन। -प्रेट्र
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हिमाचल प्रदेश के शिमला और मंडी में सोमवार रात मूसलधार बारिश ने भारी तबाही मचाई। भूस्खलन और अचानक आयी बाढ़ से मंडी जिले में पांच लोगों की मौत हो गई, दो लापता हो गए, जबकि दो लोगों को बचा लिया गया। वहीं, शिमला शहर के अलग-अलग हिस्सों में भूस्खलन से 20 से ज्यादा गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गयीं। पंथाघाटी में पांच मंजिला इमारत के आगे बनी सुरक्षा दीवार ढहने से उसे खतरा पैदा हो गया और प्रशासन ने तुरंत भवन को खाली करवा दिया। शिमला की लाइफलाइन कहलाने वाला सर्कुलर रोड लैंडस्लाइड के कारण बंद हो गया।

मंडी जिले में निहरी तहसील की बोए पंचायत के ब्रगटा गांव में भूस्खलन की चपेट में आये एक मकान में परिवार के तीन लोगों की जान चली गयी, जबकि दो घायल हो गये। मृतकों की पहचान तांगू देवी (64), कमला देवी (33) और आठ माह के भीष्म के रूप में हुई है। वहीं, धर्मपुर बाजार क्षेत्र में अचानक बाढ़ आने से बस स्टैंड और व्यावसायिक प्रतिष्ठान जलमग्न हो गए। इसमें 20 बसें और 25 निजी वाहन बह गये व क्षतिग्रस्त हो गये। वहीं, द्रंग के शिवाबदार की सुमा खड्ड में दो व्यक्ति बह गये।

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उत्तराखंड में तबाही, पांच लोग बहे

देहरादून (एजेंसी) : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में मंगलवार को बादल फटने और रात भर हुई भारी बारिश से भीषण तबाही मची, जिसमें पांच लोग बह गए और 500 से अधिक लोग विभिन्न स्थानों पर फंस गए। सहस्त्रधारा, मालदेवता, संतला देवी और डालनवाला सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। सहस्त्रधारा में 192, मालदेवता में 141.5, हाथी बरकला और जॉली ग्रांट में 92.5 और कालसी में 83.5 मिमी बारिश हुई। कई सड़कें, मकान, दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं और एक पुल बह गया। बारिश के बाद ज्यादातर नदियां उफान पर हैं। सुबह तमसा नदी तेजी से उफान पर आ गई, जिससे टपकेश्वर मंदिर पूरी तरह डूब गया और प्रवेश द्वार के पास स्थित विशाल हनुमान प्रतिमा कंधों तक डूब गई। गंगा और यमुना भी चेतावनी स्तर के करीब बह रही हैं। आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि प्रभावित इलाकों में टीमें राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं, वहीं 300 से 400 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

केंद्र से विशेष पैकेज की मांग करें भाजपा नेता : सुक्खू

शिमला : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भूस्खलन में तीन लोगों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री केवल राजनीतिक फोटो खिंचवाने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को प्रधानमंत्री से विशेष वित्तीय पैकेज की मांग करनी चाहिए, जिससे प्रभावित परिवारों को समय पर सहायता मिल सके।

बाढ़ में सैकड़ों मवेशियों के बहकर पाकिस्तान जाने की आशंका

चंडीगढ़ (रुचिका एम खन्ना) : पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों में 373 लापता मवेशियों को लेकर रहस्य बना हुआ है। किसी भी मवेशी का शव न मिलने पर अधिकारियों को आशंका है कि ये बहकर पाकिस्तान चले गए होंगे। राज्य पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने ‘द ट्रिब्यून’ को बताया कि बाढ़ से 3.60 लाख मवेशी प्रभावित हुए हैं, जबकि अब तक 534 मवेशियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। गुरदासपुर के एक किसान मंजीत सिंह ने बताया कि बाढ़ के दौरान शेड में बंधे कई पशुओं को लोगों ने इसलिए खोल दिया कि वे सुरक्षित निकल जाएंगे, लेकिन तेज़ धाराएं उन्हें बहा ले गईं। किसानों का यह भावनात्मक नुकसान भी है। पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भंडारी ने बताया कि अब तक 373 मवेशी लापता हैं। बताया गया कि इस साल की शुरुआत में राज्य में 68.03 लाख पशुओं का रिकॉर्ड दर्ज किया गया था। इनमें 22.99 लाख गाय और 34.93 लाख भैंसें शामिल थीं।

पंजाब में 2.15 लाख एकड़ रकबे में

रेत, केंद्र से मांगे 151 करोड़

चंडीगढ़ (चरणजीत भुल्लर): पंजाब के सीमावर्ती जिलों में लगभग 2.15 लाख एकड़ रकबे में रेत जमा हो गयी है। खेतों से यह रेत हटाने के लिए पंजाब सरकार ने परियोजना तैयार कर केंद्र से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 151.19 करोड़ रुपये का फंड मांगा है। राज्य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने मंगलवार को इस संबंध में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सौंपी। पंजाब सरकार ने कहा है कि गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का, तरनतारन और पठानकोट जिलों के बाढ़ प्रभावित खेतों में एक से तीन फीट तक रेत जमा हो गई है। पंजाब कृषि विभाग के अनुसार, एक एकड़ से रेत हटाने में औसतन सात हजार रुपये का खर्च आएगा और बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए यह खर्च वहन करना मुश्किल है। राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों के किसानों को गेहूं के बीज मुफ्त उपलब्ध कराने के लिए भी केंद्रीय कृषि मंत्री से 80 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी है। इसके अलावा, 637 क्विंटल सरसों के बीज की मांग की गई है। केंद्र को लिखे पत्र में पंजाब सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पोषण मिशन के तहत पंजाब को 2019 से बीज के लिए कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस मिशन के तहत पंजाब ने 642 क्विंटल गेहूं और 375 क्विंटल चना बीज किट की मांग की है। इसके लिए अलग से 25 करोड़ रुपये मांगे गए हैं।

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