कोलकाता, 15 मई (एजेंसी)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और इसे लेकर संकीर्ण सोच नहीं रखनी चाहिए। इससे पहले अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौते करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंधों का खतरा है। जयशंकर ने मंगलवार रात कोलकाता में एक कार्यक्रम में कहा कि अतीत में अमेरिका भी इस बात को मान चुका है कि चाबहार बंदरगाह की व्यापक प्रासंगिकता है। भारत ने सोमवार को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। जयशंकर ने कहा, ‘चाबहार बंदरगाह से हमारा लंबा नाता रहा है, लेकिन हम कभी दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सके। इसकी वजह है कि कई समस्याएं थीं। अंतत: हम इन्हें सुलझाने में सफल रहे हैं और दीर्घकालिक समझौता कर पाए हैं। इसके बिना हम बंदरगाह पर परिचालन नहीं सुधार सकते। और हमारा मानना है कि बंदरगाह परिचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ बयान देखे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि यह लोगों को बताने और समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में सभी के फायदे के लिए है। मुझे नहीं लगता कि इस पर लोगों को संकीर्ण विचार रखने चाहिए।’ जयशंकर ने कहा, अगर आप अतीत में चाहबहार को लेकर अमेरिका के खुद के रवैये को देखें तो वह इस तथ्य का प्रशंसक रहा है कि चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता है।
गौर हो कि भारत ने 2003 में ऊर्जा संपन्न ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। इसके जरिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) का इस्तेमाल कर भारत से सामान अफगानिस्तान और मध्य एशिया भेजा जा सकेगा। अमेरिका ने संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिसके चलते बंदरगाह के विकास का काम धीमा पड़ गया था।