विवेक बंसल/निस
गुरुग्राम, 2 मई
मेडिकल हब के रूप में विख्यात गुरुग्राम में बड़े-बड़े आधुनिक अस्पताल हैं, जहां गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज संभव माना जाता है। देश-विदेश से मरीज यहां आते हैं। लेकिन, आग से जले मरीजों को यहां इलाज नहीं मिलता। न प्राइवेट अस्पतालों में व्यवस्था है, न सरकारी में। ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ही रेफर करना पड़ता है। गुरुग्राम से दिल्ली की दूरी के कारण इलाज में हुई देरी कई मामलों में जानलेवा भी बन जाती है। ऐसे मरीजों के लिए ग्रुरुग्राम के आसपास अन्य विकल्प देखें तो पीजीआई रोहतक और मेवात के अस्पताल में बर्न इंजरी वार्ड हैं। सफदरजंग अस्पताल में बर्न पेशेंट्स के लिए 200 बेड हैं, लेकिन वह प्राय: भरे रहते हैं।
गुरुग्राम का मानेसर एक औद्योगिक हब है, जहां मारुति समेत कई कंपनियों के लगभग 2200 यूनिट हैं। इसी के मद्देनजर मानेसर और गुरुग्राम में 100-100 बेड का ईएसआई अस्पताल है, लेकिन इनमें भी आग से पीड़ितों के इलाज के लिए बेड की व्यवस्था नहीं है। आईएमटी मानेसर इंडस्िट्रयल एसोसिएशन के प्रधान पवन यादव ने बताया कि मानेसर उद्योग क्षेत्र में अति ज्वलनशील रबड़, परफ्यूम, प्लास्टिक, केमिकल उद्योगों की भरमार है, कोई हादसा होने पर कर्मचारी झुलस जायें तो सफदरजंग ही ले जाना पड़ता है। आसपास के अस्पतालों में मात्र प्राथमिक उपचार ही मिल पाता है। इस संदर्भ में जिला स्वास्थ्य विभाग और ईएसआई अस्पताल की ओर से अधिकारियों ने बात करने से बचने का प्रयास किया, लेकिन हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त निदेशक डॉक्टर डीवी सहारन ने कहा कि इस अति गंभीर विषय की तरफ ध्यान तो सबका है, लेकिन कुछ किया नहीं जा रहा। कल्याणी अस्पताल के सीएमडी डॉक्टर सुभाष खन्ना का कहना है कि यहां लगभग सभी अस्पतालों में बर्न मरीज के लिए कुछ सुविधाएं हैं, लेकिन मरीज काे लंबे समय तक रखने और लंबा इलाज चलने के मद्देनजर बेहतर सुविधाएं सफदरजंग अस्पताल में हैं। यह मानकर उसे रेफर कर दिया जाता है कि वहां बेहतर चिकित्सा व्यवस्था है और खर्च भी न के बराबर है।
4 महीने में 566 जगह आग
गत मंगलवार मानेसर के सेक्टर-6 में 25 एकड़ क्षेत्र में फैले कबाड़ और झोपड़ियों में भीषण आग लग गई थी, जिसे 48 घंटे बाद काबू किया जा सका। वहां एक बुजुर्ग महिला का शव मिला था और 2 लोगों को गंभीर अवस्था में सफदरजंग अस्पताल भेजा गया था। फायर इंस्पेक्टर नरेंद्र यादव ने बताया कि जनवरी से अप्रैल तक गुरुग्राम जिले में आग की 566 घटनाएं हुई हैं।