नयी दिल्ली, 28 मई (एजेंसी)केंद्र सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य तीन प्रतिशत (69 रुपये) बढ़ाकर 2369 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसके अलावा, 2025-26 खरीफ विपणन सत्र के लिए दलहन और तिलहन के एमएसपी में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमश: 5.96 और नौ प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) की बैठक में नये खरीफ सत्र के लिए एमएसपी पर कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों से कहा कि पिछले 10 से 11 वर्ष में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश के अनुरूप 14 खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में ‘भारी’ वृद्धि हुई है। धान की सामान्य एवं ‘ए’ ग्रेड किस्मों के लिए समर्थन मूल्य 2025-26 खरीफ विपणन वर्ष सत्र के लिए 69 रुपये बढ़ाकर क्रमशः 2369 और 2389 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।मंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मिलने वाला अपेक्षित मुनाफा सबसे अधिक बाजरा (63 प्रतिशत) पर मिलने का अनुमान है। उसके बाद मक्का (59 प्रतिशत), तुअर (59 प्रतिशत) और उड़द (53 प्रतिशत) पर अधिक मुनाफा मिल सकता है। बाकी फसलों के लिए मुनाफा 50 प्रतिशत होने का अनुमान है। एमएसपी में पिछले वर्ष की तुलना में सबसे अधिक वृद्धि रामतिल पर की गई। इसके बाद रागी, कपास और तिल पर सबसे अधिक एमएसपी की बढ़ोतरी की घोषणा की गई है।किसानों के लिए ब्याज सहायता योजना रहेगी जारीसरकार ने 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) जारी रखने की बुधवार को मंजूरी दे दी। इसके तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सस्ती दर पर अल्पकालिक ऋण मिलता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एमआईएसएस को मौजूदा 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता के साथ जारी रखने का निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया। इससे सरकारी खजाने पर 15,640 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।पंजाब के किसान नाखुशचरणजीत भुल्लर (चंडीगढ़) : केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को घोषित फसलों के समर्थन मूल्य से पंजाब के किसान नाखुश हैं। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पांच साल में सबसे कम वृद्धि हुई है। इस बार 69 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गयी है, जबकि पिछले साल धान के दाम में 117 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाए गये थे। वर्ष 2018-19 में सबसे अधिक 200 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ाए गये थे।कीर्ति किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि मौजूदा लागत के लिहाज से नयी कीमत नगण्य है। केंद्र को डॉ. स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करनी चाहिए। गांव भाईरूपा के किसान गुरपिंदर सिंह ने कहा कि हर साल भूजल स्तर गहरा होने के चलते किसानों को गहरे पाइप बिछाने पड़ते हैं और आज घोषित की गयी कीमत से पाइप की लागत भी नहीं निकलेगी। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के नेता शिंगारा सिंह मान ने कहा कि कपास की लागत में काफी वृद्धि हो चुकी है और केंद्र सरकार का मूल्य किसानों को सहारा देने वाला नहीं है। कपास के मूल्य में उत्पादन लागत के अनुसार वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि पंजाब की कपास पट्टी का पुराना गौरव बहाल हो सके।