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राजौरी में 17 मौतों का कारण ऐसा जहर, जो वहां मिलता ही नहीं !

शीर्ष केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने की जांच, अाधिकारिक रिपोर्ट अभी जारी नहीं

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प्रतीकात्मक चित्र
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अदिति टंडन/ ट्रिन्यू

नयी दिल्ली, 9 मार्च

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राजौरी के बधाल में 3 संबंधित परिवारों में 17 लोगों की रहस्यमय मौत मामले में शीर्ष केंद्रीय प्रयोगशालाएं इस नतीजे पर पहुंची हैं कि इनका कारण संभवत: एक ऐसा जहर है, जो जम्मू-कश्मीर में उपलब्ध ही नहीं होता। आधिकारिक रिपोर्ट अभी जम्मू-कश्मीर प्रशासन के पास है और इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। हालांकि, ट्रिब्यून को पता चला है कि देश की शीर्ष विष विज्ञान प्रयोगशाला- सीएसआईआर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) ने ‘क्लोरफेनापायर’ को इन मौतों का मुख्य कारण माना है। पांच अन्य प्रमुख प्रयोगशालाओं ने भी मृतकों के खाद्य एवं जैविक नमूनों में इसी जहर को पाया। सूत्रों ने बताया कि ये निष्कर्ष गड़बड़ी की ओर संकेत करता है, क्योंकि क्लोरफेनापायर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं है और प्रभावित गांव की दूरदराज की स्थिति के कारण इसे ऑनलाइन खरीदे जाने की संभावना भी नहीं है। ये जहर संभवतः जम्मू-कश्मीर के बाहर से लाया गया। क्लोरफेनापायर, एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम कीटनाशक है। इसके संपर्क में आने से मृत्यु हो सकती है और अपेक्षाकृत कम मात्रा भी घातक हो सकती है।

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100 से अधिक विषाक्त पदार्थों का किया परीक्षण

शुरुआती चरण में, आईसीएमआर के विशेषज्ञों ने किसी संक्रामक एजेंट- वायरस, फंगस या बैक्टीरिया के कारण मौत की संभावना को खारिज कर दिया था और निष्कर्ष निकाला था कि इनका कारण संभवतः न्यूरोटॉक्सिन था। जांच के दूसरे चरण में, शीर्ष प्रयोगशालाओं में 100 से अधिक विषाक्त पदार्थों का परीक्षण किया गया। गांव बधाल में 17 मौतों में से पहली 7 दिसंबर और आखिरी 19 जनवरी को दर्ज की गयी थी।

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