अलप्पुझा : केरल में भारी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन की दुखद घटनाओं के बीच पेशे से स्वास्थ्यकर्मी एक जोड़ा सोमवार को जलमग्न सड़कों से जूझते हुए एल्युमीनियम के एक बड़े बर्तन में बैठ शादीघर तक पहुंचा। थलावड़ी में एक मंदिर के निकट जलमग्न शादीघर में दोनों की शादी हुई। शादी में गिनती के रिश्तेदार आए थे। टीवी चैनलों पर जोड़े (आकाश और ऐश्वर्या) के खाना पकाने के बड़े बर्तन में बैठकर शादी के लिए जाने का दृश्य छाया रहा। नवविवाहित जोड़े ने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से उन्होंने कम ही रिश्तेदारों को आमंत्रित किया था। शादी सोमवार को तय थी और शुभ मुहुर्त की वजह से वे इसे टालना नहीं चाहते थे। उन्होंने बताया कि वे कुछ दिन पहले मंदिर आए थे और तब वहां बिल्कुल पानी नहीं भरा था। पिछले दो दिनों में भारी बारिश की वजह से यहां पानी भर गया। -एजेंसी
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।