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E-मंडीकरण पोर्टल पर गायब हुआ गांव किलियांवाली और वड़िंगखेडा का रकबा, किसानों के बिल नहीं बने

E-Mandikaran Portal: पंजाब मंडी बोर्ड के ई-मंडीकरण पोर्टल से लंबी हल्के के गांव किलियांवाली और वड़िंगखेडा का रकबा गायब हो गया है। जिसके चलते इन गांवों के दर्जनों किसानों की धान की फसल के बिल नहीं बन पा रहे हैं,...

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गांव वड़िंगखेडा की सैटेलाइट फोटो।
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E-Mandikaran Portal: पंजाब मंडी बोर्ड के ई-मंडीकरण पोर्टल से लंबी हल्के के गांव किलियांवाली और वड़िंगखेडा का रकबा गायब हो गया है। जिसके चलते इन गांवों के दर्जनों किसानों की धान की फसल के बिल नहीं बन पा रहे हैं, जिससे उनकी करोड़ों रुपये की फसल राशि फंस गई है। किसानों का करोड़ों का धान बिना बिके पड़ा है और वे गहरी परेशानी में हैं।

गांव किलियांवाली का रकबा लगभग 5000 एकड़ और वड़िंगखेडा का करीब 4000 एकड़ है। हालांकि यह रकबा राजस्व विभाग पंजाब के वेब-पोर्टल पर मौजूद है। खुलासा तब हुआ जब इन गांवों से जुड़े आढ़तियों ने धान फसल के बिल बनाते समय जमीन का रकबा ई-मंडी पोर्टल पर मैप करने की कोशिश की। आढ़तियों के अनुसार पिछले सीजन 2024-25 में यह रकबा पूरी तरह पोर्टल पर बकायदा दर्ज था।

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गांव किलियांवाली की सैटेलाइट फोटो।

सूत्रों के अनुसार, मार्किट कमेटी,मंडी किलियांवाली का हाल ही में पुनर्गठन हुआ है। माना जा रहा है कि नयी कमेटी के गठन के बाद नई आधिकारिक आईडी आदि बनाते समय संभव है कि तकनीकी खामी के चलते इस साल (खरीफ सीजन 2025-26) का डेटा पोर्टल पर दिख नहीं रहा।

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गांव किलियांवाली के किसान लखविंदर सिंह ने बताया कि उनकी फसल तुलाई हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है, लेकिन अभी तक बिल नहीं बना। वे आढ़तियों और मार्किट कमेटी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। आढ़तियों का कहना है कि रकबा न दिखने के कारण वे बिल नहीं बना पा रहे, जबकि किसान लगातार दबाव बना रहे हैं। पूरा मामला पंजाब मंडी बोर्ड के आईटी विंग से संबंधित है।

मार्केट कमेटी किलियांवाली ने इस समस्या के शीघ्र समाधान के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है। प्रभावित किसान गायब रकबे की जांच तेज करवाने के लिए धरना देने की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब मंडी बोर्ड के पोर्टल से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं था, पर अब जांच करवाकर इसे जल्द ठीक किया जाएगा।

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