विजय मोहन
ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 9 अक्तूबर
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत और चीन के बीच गतिरोध के सर्दियों में भी जारी रहने की संभावना है। इसी को देखते हुए अब सेना ने दुर्गम पहाड़ी दर्रों की निगरानी के लिए हेली-पतंगों (heli-kites) और मिनी-एयरोस्टेट (mini-aerostats ) का प्रयोग करने की तैयारी की है। उल्लेखनीय है कि भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों में ऊंचाई वाले पूर्वी और साथ ही पश्चिमी सेक्टर में मूवमेंट लगभग असंभव हो जाती है। एलएसी के आसपास के क्षेत्र में कई प्रवेश मार्ग हैं। सेना के सूत्रों के अनुसार, इन क्षेत्रों में हर समय हवाई निगरानी की ज़रूरत है। इसके अलावा भर्मल इमेज को रिकार्ड करके ट्रांसमिट करने वाले डे-नाइट कैमरे एक बेहतर विकल्प है। सेना मुख्यालय में आर्टिलरी के महानिदेशक द्वारा इस परियोजना की देखरेख की जा रही है। सेना अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हेली-पतंग या मिनी एयरोस्टेट विकसित करने वाले निजी उद्योगों की भी सहायता ले सकता है। सेना की यह आप्शन भी खुली हुई है। निगरानी करने के लिये उपकरणों को 20,000 फीट से भी अधिक ही उंचाई पर स्थपित करना पड़ सकता है।
क्या है हेली-पतंग
हेली-पतंग एक हीलियम गुब्बारे और एक पतंग का संयोजन होता है जो अपनी लिफ्ट के लिए हवा और हीलियम गैस, दोनों का उपयोग होता है। उसे सैन्य के साथ-साथ सिविलियन प्रोजेक्टों में भी काम में लाया जा सकता है। इसका उपयोग हवाई फोटोग्राफी, एंटेना उठाने, रेडियो-रिले, निगरानी, कृषि पक्षी-नियंत्रण और मौसम विज्ञान के लिए किया जाता है। वहीं एक एरोस्टैट हवा से हल्का विमान है जो हीलियम हाइड्रोजन जैसी गैस के उपयोग के माध्यम से अपनी लिफ्ट प्राप्त करता है। चीन को तिब्बत में निगरानी के लिए एयरोस्टेट तैनात करने के लिए जाना जाता है।