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India-US Trade वार्ता से पहले तनाव : ट्रंप के सलाहकार ने भारत की व्यापार नीतियों और रूस तेल सौदे पर उठाए सवाल

India-US Trade अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच की भारत यात्रा से ठीक पहले, व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने सोमवार को भारत की नीतियों पर तीखी टिप्पणी की। नवारो ने आरोप लगाया कि युद्ध शुरू होते ही...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ। (फाइल फोटो)
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India-US Trade अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच की भारत यात्रा से ठीक पहले, व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने सोमवार को भारत की नीतियों पर तीखी टिप्पणी की। नवारो ने आरोप लगाया कि युद्ध शुरू होते ही भारतीय रिफाइनरों ने रूसी कंपनियों से हाथ मिला लिया और अनुचित व्यापार से लाभ कमाकर अमेरिकी कामगारों को नुकसान पहुंचाया।

नवारो ने कहा, ‘भारत अनुचित व्यापार से फायदा उठाकर उसी पैसे से रूसी तेल खरीदता है, जो मास्को की हथियार मशीनरी को मजबूत करता है। अब भारत वार्ता की मेज पर आ रहा है, लेकिन उसके टैरिफ बेहद ऊंचे हैं।’

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अमेरिकी प्रमुख वार्ताकार लिंच मंगलवार को नयी दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि बातचीत जारी है और यह छठा दौर नहीं, बल्कि समझौते की दिशा तय करने वाली चर्चा है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए सक्रिय हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘बेहद अच्छा मित्र’ बताया और भरोसा जताया कि बातचीत सफल रहेगी। मोदी ने भी अमेरिका को ‘स्वाभाविक साझेदार’ कहा और उम्मीद जताई कि वार्ता से साझेदारी की असीम संभावनाएं खुलेंगी।

आत्मनिर्भरता की पहल

इधर, वाणिज्य सचिव सुनील बार्थवाल ने कहा कि सरकार 100 प्रमुख उत्पादों की पहचान कर रही है ताकि घरेलू विनिर्माण बढ़ाकर आयात पर निर्भरता घटाई जा सके। इसका उद्देश्य स्थानीय उद्योग को मजबूती देना और रणनीतिक जोखिमों को कम करना है।

मार्च में शुरू हुई वार्ताओं का लक्ष्य नवंबर तक पहले चरण का समझौता करना है। हालांकि अगस्त में तनाव बढ़ने पर अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की प्रस्तावित यात्रा टाल दी गई और वाशिंगटन ने भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया। इनमें 25 प्रतिशत प्रतिशुल्क और 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क शामिल था, जो भारत की रूसी तेल खरीद से जोड़ा गया। भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने से साफ इनकार किया है और इन्हें अपनी ‘लाल रेखा’ बताया है।

 

 

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