Teacher Manisha Murder Case: इंसाफ के लिए सड़कों पर उतरे लोग, कई जगह कैंडल मार्च, कस्बों में बाजार बंद
Teacher Manisha Murder Case: 19 वर्षीय टीचर मनीषा हत्याकांड अब जन आंदोलन बन गया है। मनीषा को न्याय दिलाने के लिए अनेक जगहों पर लोगों ने कैंडल मार्च निकाला। वहीं सिंघानी गांव के लोग शनिवार सुबह से ही बाजार बंद करके पद यात्रा में निकलते हुए ढिगावा में चल रहे धरने में पहुंचे।
लोहारू, ढिगावा, बहल, ईश्वरवाल आदि कस्बों में आज बाजार पूरी तरह बंद रखकर दुकानदार भी मनीषा को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन में कूद गए। अनेक महिला संगठन ढिगावा धरने में पहुंचे हुए हैं। पूर्व मंत्री भाजपा नेता जेपी दलाल दोपहर तक धरने में पहुंचने वाले हैं।
इधर, टीचर मनीषा की मां का रो रोकर बुरा हाल बना हुआ है। उसने 13 अगस्त को अपनी बेटी की सिर कटी लाश मिलने के बाद से ही अन्न का एक दाना नहीं खाया। पिता सहित सभी परिवारजनों का कहना है कि हत्यारे रूपी जल्लादों को देखने के बाद ही वे खाना खाएंगे।
पुलिस की ढीली कार्रवाई और लापरवाही पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एसपी मनबीर सिंह का तबादला करके सुमित कुमार को नया एसपी लगाया है। वहीं लोहारू थाने के एसएचओ अशोक, लेडी एएसआई शकुंतला, इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल के ईएसआई अनूप, कांस्टेबल पवन और एसपीओ धर्मेंद्र को सस्पेंड कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि 11 अगस्त को मनीषा अपने प्ले स्कूल में पढ़ाने के बाद सिंघानी गांव के एक नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए गई थी। सीसीटीवी फुटेज में भी दोपहर दो बजे के आसपास मनीषा वहां जाते हुए दिखाई दी, लेकिन नर्सिंग कॉलेज में जाने के बाद से उसका कोई अता पता नहीं चला। शाम छह बजे उसने अपने भाई को फोन करके बातें करने की कोशिश की थी लेकिन तुरंत फोन कट गया था। उसके बाद उसका मोबाइल बंद हो गया।
इसके दो दिन बाद उसकी गर्दन कटी हुई लाश इस नर्सिंग कॉलेज से कुछ ही दूर एक नहर के पास खेत में पड़ी हुई मिली थी। लाश को देखकर लोगों की रूह कांप गई थी। अंदेशा जताया जा रहा है कि दरिंदों ने उसके साथ गैंग रेप करने के बाद तेज धार हथियार से बहुत बेरहमी से उसकी गर्दन काट दी। चेहरे को बुरी तरह कुचल दिया गया ताकि पहचान न हो सके।
इस पूरे मामले में जैसा अक्सर पुलिस का रवैया होता है, पुलिस ने गुमशुदगी के पहले दिन 11 अगस्त को परिजनों की मदद करने के बजाय बेटी के चरित्र पर छींटाकशी करके परिजनों को तोड़ने का काम किया।
लोगों का कहना है कि यदि वारदात वाले दिन 11 अगस्त को ही पुलिस मामले को गंभीरता से ले लेती तो मनीषा के साथ ये वारदात नहीं होती। लोगों में पुलिस के प्रति काफी रोष पनपा हुआ है। दोषियों को पकड़कर बेनकाब किए जाने तक मनीषा के शव का अंतिम संस्कार नहीं किए जाने के निर्णय लिया हुआ है। सरकार और पुलिस प्रशासन लोगों के बीच पूरी तरह कठघरे में खड़े हैं।