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Teacher Manisha Murder Case: भिवानी की मनीषा केस की जांच CBI को सौंपने का ऐलान, धरना-प्रदर्शन से बैकफुट पर आई सरकार

Teacher Manisha Murder Case: तीन पोस्टमार्टम, धरना-प्रदर्शन और इंटरनेट बंदी के बीच सरकार का बड़ा फैसला
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फाइल फोटो ट्रिब्यून
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Teacher Manisha Murder Case: भिवानी की अध्यापिका मनीषा की मौत अब एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे का रूप ले चुकी है। दस दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अंतिम संस्कार न होना और गांव में लगातार धरना-प्रदर्शन ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया। आखिरकार मंगलवार देर रात मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपने का ऐलान कर दिया।

11 अगस्त को मनीषा नर्सिंग कॉलेज में दाखिले के लिए घर से निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। 13 अगस्त को सिंघानी गांव के खेतों में उसका शव बरामद हुआ। 14 अगस्त को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला रेतकर हत्या की पुष्टि हुई, लेकिन दुष्कर्म से इनकार कर दिया गया। रिपोर्ट आने के बाद से ही ग्रामीण और परिजन असंतुष्ट रहे। इसके बाद दूसरा पोस्टमार्टम हुआ, परिजन उसमें भी संतुष्ट नहीं हुए। अब परिवार ने एम्स (दिल्ली) के डॉक्टरों से तीसरा पोस्टमार्टम कराने की मांग रखी है।

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सरकार पर दबाव

लगातार धरने और आंदोलन के कारण प्रदेश सरकार ने भिवानी में 21 अगस्त तक इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला लिया। वहीं, प्रशासन ने परिवार को शांत करने के लिए कई कदम उठाए — एसपी का तबादला, थाना प्रभारी सहित कई पुलिसकर्मियों का निलंबन और सीबीआई जांच की घोषणा। इसके बावजूद परिजन अभी तक शव को उठाने को तैयार नहीं हैं। बुधवार सुबह गांव की कमेटी की बैठक में यह तय हुआ कि पहले एम्स की टीम शव का परीक्षण करेगी, उसके बाद ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया होगी।

जांच पर उठे सवाल

मनीषा केस सिर्फ एक हत्या की जांच तक सीमित नहीं रह गया है। अब यह प्रशासन और जनता के बीच भरोसे के संकट का प्रतीक बन गया है। लगातार तीन पोस्टमार्टम की मांग, धरनों का लंबा खिंचना और इंटरनेट बंद करना दिखाता है कि लोगों को न तो स्थानीय पुलिस पर भरोसा है और न ही सरकारी संस्थाओं पर। यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक रूप से भी गूंज सकता है। विपक्ष पहले ही कानून-व्यवस्था पर सरकार को घेर रहा है। अब सीबीआई जांच और एम्स पोस्टमार्टम जैसे फैसले यह दर्शाते हैं कि सरकार ने दबाव में आकर कदम उठाए हैं।

मनीषा के पिता ने कहा

मनीषा के पिता संजय ने साफ किया कि उन पर किसी का दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों को लिखित में पूरा करने का आश्वासन देती है तो ही धरना खत्म किया जाएगा।

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