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हरियाणा में रेत-बजरी और पत्थर पर टैक्स घटा

हरियाणा सरकार ने लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत देने की कोशिश की है। निर्माण कार्यों– मकान व दुकान आदि बनाने वाले गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को इसका सबसे अधिक लाभ होगा। बड़े बिल्डरों को भी फायदा होगा।...
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हरियाणा सरकार ने लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत देने की कोशिश की है। निर्माण कार्यों– मकान व दुकान आदि बनाने वाले गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को इसका सबसे अधिक लाभ होगा। बड़े बिल्डरों को भी फायदा होगा। सरकार ने रेत-बजरी और पत्थर पर लगने वाले टैक्स में 20 फीसदी तक की कटौती की है।

शुक्रवार को हरियाणा कैबिनेट की मीटिंग में अंतर्राज्यीय पारगमन पास (आईएसटीपी) ढांचे को लागू करने के लिए खनिज खनन नियमों और रायल्टी दरों में संशोधन का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में दूसरे राज्यों से आने वाले खनिज से भरे वाहनों पर 100 के बजाय 80 रुपये प्रति टन शुल्क वसूलने की मंजूरी दी गई। इसी तरह पत्थर और बोल्डर पर राॅयल्टी को भी 100 से घटाकर 80 रुपये प्रति टन किया गया है।

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याद रहे कि 26 जून को हुई कैबिनेट मीटिंग में खनिजों के अंतर्राज्यीय परिवहन के लिए 100 रुपये प्रति टन का शुल्क निर्धारित किया गया था। वहीं पत्थर की राॅयल्टी 45 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति टन और रेत की राॅयल्टी 40 से बढ़ाकर 80 रुपये प्रति टन कर किया गया था। कैबिनेट के इस निर्णय के बाद भवन निर्माण सामग्री की कीमतों में बड़ा इजाफा हुआ। इस संबंध में जनप्रतिनिधियों के आग्रह पर कैबिनेट ने अब इस निर्णय को बदला है। खनन पट्टे के मामले में लघु खनिज के लिए राॅयल्टी की दर खनिज के लिए लागू दरों के अतिरिक्त 25 प्रतिशत होगी।हरियाणा में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और यूपी से खनन सामग्री लाई जाती है।

सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन

प्रदेश में सिख गुरुद्वारों के प्रबंधन से जुड़े कानूनी ढांचे को अधिक सुदृढ़ करने के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम-2014 में संशोधन किया गया है। मुख्य बदलावों में अधिनियम की धारा 17(2)(c) को हटाया गया है, जो गुरुद्वारा समिति को अपने ही सदस्यों को हटाने का अधिकार देती थी। अब यह अधिकार धारा 46 के अंतर्गत गठित न्यायिक आयोग के पास होगा। इसके अतिरिक्त धारा 44 और 45 को प्रतिस्थापित करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि मतदाता पात्रता, अयोग्यता, गुरुद्वारा कर्मचारियों से संबंधित सेवा मामलों और समिति सदस्यों की नियुक्ति से जुड़े विवाद अब विशेष रूप से गठित न्यायिक आयोग द्वारा सुलझाए जाएंगे।

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