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सुखबीर बादल पर ‘तनखाहिया’ का फैसला वापस

अकाल तख्त और तख्त पटना साहिब में सुलह
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नीरज बग्गा/ट्रिन्यू

अमृतसर, 14 जुलाई

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अकाल तख्त और तख्त श्री पटना साहिब के बीच चला आ रहा टकराव अब सुलझ गया है। सोमवार को अकाल तख्त के कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज की अध्यक्षता में पांचों तख्तों के सिंह साहिबान की बैठक हुई, जिसमें यह विवाद शांतिपूर्वक समाप्त कर दिया गया।

बैठक में पटना साहिब तख्त प्रबंधन ने अकाल तख्त से माफी मांगते हुए वे सभी फरमान वापस ले लिए, जिनमें शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और अकाल तख्त व दमदमा साहिब के जत्थेदारों को ‘तनखैया’ घोषित किया गया था। इसके जवाब में अकाल तख्त ने भी तख्त पटना साहिब की प्रबंधन कमेटी के खिलाफ जारी आदेश रद्द कर दिए।

पटना साहिब की ओर से 12 जुलाई को भेजे गए पत्र में प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जगजोत सिंह और महासचिव इंदरजीत सिंह ने अकाल तख्त से अनुरोध किया था कि वह ‘पंथक एकता’ और खालसा पंथ के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णयों की पुनर्समीक्षा करें।

गड़गज ने स्पष्ट किया कि 21 मई को अकाल तख्त द्वारा तख्त पटना साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई बलदेव सिंह और अतिरिक्त ग्रंथी गुरदियाल सिंह पर लगाई गई ‘पंथक सेवा पर रोक’ भी आज के साथ समाप्त मानी जाएगी। वहीं, पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर को तख्त प्रबंधन के खिलाफ दायर मुकदमा वापस लेने का निर्देश दिया गया। साथ ही प्रबंधन समिति को उनके लंबित भुगतान करने को भी कहा गया। सभी संबंधितों को यह भी निर्देश दिया गया कि इस मामले को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी न करें।

पहले लग चुका है धार्मिंक दंड

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब सुखबीर बादल को पंथक फटकार का सामना करना पड़ा हो। 30 अगस्त 2024 को तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की अध्यक्षता में पांच सिंह साहिबान ने उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किया था। धार्मिक दंड के दौरान 4 दिसंबर को जब वे स्वर्ण मंदिर में सेवादार के रूप में सेवा दे रहे थे, उस समय खालिस्तानी आतंकी नारायण सिंह ने उन पर गोली चलाई थी, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे।

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