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SYL Dispute : केंद्र की मध्यस्ता के बावजूद गतिरोध बरकरार, नहीं बनी सहमति; CM सैनी बोले- अच्छे माहौल में हुई बात

13 को सुप्रीम कोर्ट में होनी सुनवाई, 9 जुलाई को भी हुई थी पंजाब व हरियाणा की बैठक
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हरियाणा और पंजाब के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर का विवाद दशकों से चला आ रहा है। समाधान की उम्मीद में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में मंगलवार को नई दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय बैठक में फिर कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के सीएम भगवंत मान की मौजूदगी में चर्चा तो हुई, लेकिन नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’।

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया हुआ है। केंद्र सरकार ने मध्यस्थता का जिम्मा लिया है। इसके बाद भी बार-बार की बैठकें सिर्फ ‘सकारात्मक माहौल’ की झलक देने तक ही सिमट रही है। पंजाब और हरियाणा के बीच एसवाईएल विवाद बरसों से चला आ रहा है। अब यह विवाद प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक टकराव में बदल चुका है। हरियाणा में बीजेपी और पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सियासी खींचतान भी पानी पर ‘भारी’ पड़ रही है। हरियाणा में भाजपा की सरकार है। पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है।

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दोनों दलों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर कड़ा राजनीतिक संघर्ष है। आप बार-बार केंद्र पर ‘भेदभाव’ का आरोप लगाती रही है और भाजपा, पंजाब सरकार को ‘संविधान और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने वाली सरकार’ बताती रही है। एसवाईएल जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी दोनों राज्यों की सरकारें ‘आपसी अविश्वास’ के कारण किसी व्यावहारिक समाधान तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

इससे पहले 9 जुलाई को भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक हुई थी, लेकिन उसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला था। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि अच्छे माहौल में बातचीत हुई है। 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सकारात्मक तरीके से जवाब दिया जाएगा। दूसरी ओर, पंजाब सीएम भगवंत मान बोले, हल निकालने की ओर बढ़े हैं। हकीकत यह है कि किसी भी तकनीकी या कानूनी पहलू पर सहमति नहीं बन पाई है। 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।

केंद्र को जवाब देना है कि उसने दोनों राज्यों के बीच समाधान के लिए क्या किया। हरियाणा में एसवाईएल पानी का मुद्दा चुनावी एजेंडे में सबसे ऊपर रहा है। पंजाब में यह ‘पानी न देने’ के संकल्प से जुड़ा हुआ है। दोनों राज्यों की सरकारें इस मुद्दे पर अपने राजनीतिक आधार को नाराज नहीं करना चाहतीं। समाधान ढूंढने की बजाय बयानबाजी और संवैधानिक प्रक्रियाओं की आड़ में स्थिति को खींचा जा रहा है।

केंद्र की मध्यस्थता और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद एसवाईएल विवाद का कोई समाधान नहीं निकल पाना केवल नीतिगत जटिलता नहीं, बल्कि स्पष्ट राजनीतिक असहमति का संकेत है। बैठक में केंद्रीय सचिव देबाश्री मुखर्जी, हरियाणा के मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ भी उच्च अधिकारी बैठक में पहुंचे थे।

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