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SYL Dispute : भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने की मांग, कहा - एसवाईएल पर मीटिंग की बजाय अवमानना में जाए सरकार

कहा-सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में, इसे लागू करवाए भाजपा सरकार
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चंडीगढ़, 8 जुलाई (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)

SYL Dispute : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एसवाईएल के मुद्दे पर बुधवार को नई दिल्ली में होने वाली हरियाणा और पंजाब की बैठक पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि अब इस मुद्दे पर मीटिंग का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आ चुका है। ऐसे में प्रदेश की बीजेपी सरकार को कोर्ट की अवमानना का केस करना चाहिए ताकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाया जा सके।

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मंगलवार को नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में पूर्व सीएम ने कहा कि बीजेपी सरकार को अब इन बैठकों के दौर से आगे बढ़ना चाहिए। हरियाणा के हिस्से का पानी दिलवाने की जिम्मेदारी कोर्ट ने केंद्र सरकार को सौंपी थी। हरियाणा और केंद्र दोनों जगह, बीजेपी की सरकार है। ऐसे में अब तक हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल जाना चाहिए था। लेकिन बीजेपी के हरियाणा विरोधी रवैये के चलते यह नहीं हो पाया।

अब अगर सरकार इसके बारे में बात कर रही है तो उसे सीधे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा दायर करना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार एकबार फिर किसानों को वक्त पर खाद देने में नाकाम साबित हुई है। एक बार फिर अपने खेत व काम धंधा छोड़कर किसान, कभी ना खत्म होने वाली लंबी लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर है। डीएपी नहीं मिलने की वजह से किसान मारे-मारे फिर रहे हैं और फसलों पर खराबे का खतरा मंडरा रहा है।

डीएपी की किल्लत पर चिंता जाहिर करते हुए हुड्डा ने कहा कि जब से प्रदेश में बीजेपी सरकार आई है, तभी से हमारे किसान एमएसपी, खाद और बीज के लिए तरस रहे हैं। केंद्र और प्रदेश दोनों जगह बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार होने का किसानों डबल खामियाजा उठाना पड़ रहा है। खरीफ फसल के लिए केंद्र से हरियाणा को मिलने वाली खाद के आधे से भी कम स्टॉक की सप्लाई हुई है। क्योंकि हरियाणा को लगभग 14 लाख मिट्रिक टन खाद मिलनी थी, लेकिन हालात स्पष्ट बताते हैं कि अभी आधी भी खाद उपलब्ध नहीं हो पाई है।

उन्होंने कहा कि सुबह से शाम तक कतारों में इंताजार करने के बावजूद किसानों को खाली हाथ वापिस लौटना पड़ रहा है। हर बार सीजन के समय सरकार जानबूझकर ऐसे हालात बना देती है कि मजबूरी में किसानों को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ता है और परिवार के छोटे बच्चों व महिलाओं तक को कतारों में खड़ा करना पड़ता है। बीजेपी प्रदेश के इतिहास में इकलौती ऐसी सरकार है, जिसके कार्यकाल के दौरान पुलिस सुरक्षा के बीच खाद बांटनी पड़ती है।

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