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NH-71 परियोजना में लापरवाही मामले में मोगा की निलंबित ADC चारूमिता सहित तीन के खिलाफ केस दर्ज

NH-71 Case: एनएच-71 (पूर्व में एनएच-703) परियोजना से जुड़े पुराने रिकॉर्ड की खोज और तथ्यों की जांच में कथित लापरवाही के आरोप में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने धर्मकोट की तत्कालीन SDM और मोगा की निलंबित ADC डॉ. चारूमिता, लोक निर्माण...

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निलंबित ADC डॉ. चारूमिता की फाइल फोटो।
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NH-71 Case: एनएच-71 (पूर्व में एनएच-703) परियोजना से जुड़े पुराने रिकॉर्ड की खोज और तथ्यों की जांच में कथित लापरवाही के आरोप में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने धर्मकोट की तत्कालीन SDM और मोगा की निलंबित ADC डॉ. चारूमिता, लोक निर्माण विभाग (PWD) के सेवानिवृत्त कार्यकारी अभियंता वी.के. कपूर, और धर्मकोट के तत्कालीन तहसीलदार (सर्कल माल अधिकारी) मनिंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया है। SSP विजिलेंस फिरोजपुर मंजीत सिंह ने FIR दर्ज होने की पुष्टि की है।

डॉ. चारूमिता को पहले ही जालंधर–मोगा–बरनाला एनएच-703 (अब एनएच-71) परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में लापरवाही के आरोपों पर निलंबित किया जा चुका है। उन्हें विभाग की ओर से चार्जशीट भी जारी की गई थी।

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मामला उस समय सामने आया जब जसविंदर सिंह, गांव बहादरवाला निवासी, ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उनका दावा है कि वह वर्ष 1986 से लगभग 2 कनाल 19 मरले भूमि के मालिक हैं, जिसे 11 वर्ष पहले एनएच-71 परियोजना के तहत अधिग्रहित किया गया, लेकिन उन्हें आज तक मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ।

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विभागों के परस्पर विरोधी दावे

माल विभाग का कहना है कि इस भूमि का केवल सहमति (कन्सेंट) अवॉर्ड पास किया गया था और पूरा मुआवजा अभी भी सरकारी खाते में जमा है। दूसरी ओर, पीडब्ल्यूडी इस भूमि पर अपना स्वामित्व/अधिकार बताता रहा है। जब जसविंदर सिंह ने मुआवजा न मिलने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की, तो मामला और उलझ गया।

1963 का रिकॉर्ड गायब

जांच में सामने आया कि माल विभाग के पास वर्ष 1963 में पीडब्ल्यूडी द्वारा की गई अधिग्रहण प्रक्रिया का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

इसी संबंध में 19 सितंबर 2025 को फिरोजपुर के थाना कैंट में पुराना सरकारी रिकॉर्ड गुम होने की एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसके बाद विभाग के कई अधिकारी पुरानी फाइलें खोजने में जुटे हुए हैं।

विजिलेंस की कार्रवाई

विजिलेंस ब्यूरो ने पाया कि रिकॉर्ड की खोज में लापरवाही, अधिग्रहण से जुड़े तथ्यों की गलत या अधूरी जांच के चलते सरकारी कार्य में गंभीर त्रुटियां हुईं। इसके आधार पर तीनों अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

आगे की प्रक्रिया

विजिलेंस अब सभी दस्तावेजों, अधिकारियों की जिम्मेदारी और गायब रिकॉर्ड के संदर्भ में जांच को आगे बढ़ाएगी। अधिकारियों से आने वाले समय में पूछताछ भी हो सकती है।

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