Sushma Swaraj Jayanti : महज 25 साल की उम्र में पहली बार बनी थीं MLA, 52 दिन की रही CM...कुछ ऐसी है सुषमा स्वराज की कहानी
चंडीगढ़, 14 फरवरी (ट्रिन्यू)
Sushma Swaraj Jayanti : भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आज जन्मदिन है। भले ही वह इस दुनिया में ना हो लेकिन लोगों के मन में आज भी उनकी एक अच्छी छवि है। 14 फरवरी 1952 में हरियाणा के अंबाला में जन्मीं सुषमा जी ने 52 दिनों के छोटे कार्यकाल के लिए दिल्ली की सीएम के रूप में काम किया। इस पद पर आसीन होने वाली वह पहली महिला थीं। उनके नेतृत्व और कार्यकुशलता ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में अलग पहचान दिलाई।
सबसे युवा मंत्री का रिकॉर्ड बनाया
1993 से 1998 के बीच दिल्ली में भगवा पार्टी के लगातार तीन सीएम रहे, जिसमें अंदरूनी कलह, प्याज की बढ़ती कीमतें और जनता की नाराजगी शामिल थी। स्वराज ने अक्टूबर 1998 में बागडोर संभाली, जब भाजपा ने दिल्ली में चुनाव होने से पहले स्थिति को संभालने का आखिरी प्रयास किया। बता दें कि 1977 में जब सुषमा पहली बार विधायक बनीं, तब उनकी उम्र महज 25 साल थी, जिसके साथ ही उन्होंने सबसे युवा मंत्री का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
सात बार संसद के लिए चुनी गई
दिवंगत नेता - जिन्हें कभी विदेशी प्रकाशनों द्वारा भारत की 'सबसे पसंदीदा राजनीतिज्ञ' कहा जाता था - ने 1977 में 25 वर्ष की आयु में हरियाणा की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। वह सात बार संसद के लिए चुनी गईं और तीन बार विधायक रहीं। इंदिरा गांधी के बाद वह विदेश मंत्रालय संभालने वाली इकलौती महिला बनीं।
हार्ट अटैक से हुआ निधन
स्वराज ने 1998 में 12 अक्टूबर से 3 दिसंबर के बीच 52 दिनों तक सीएम के रूप में कार्य किया। उनके मंत्रिमंडल में हर्षवर्धन, जगदीश मुखी, पूर्णिमा सेठी, देवेंद्र सिंह शौकीन, हरशरण सिंह बल्ली और सुरेंद्र पाल रतवाल भी शामिल थे। साल 2019 में किडनी ट्रांसप्लांट से उबरने के बाद स्वराज ने नरेंद्र मोदी सरकार से बाहर होने का विकल्प चुना। उसी वर्ष अगस्त में हार्ट अटैक के कारण दिग्गज राजनीतिज्ञ का निधन हो गया।
मुजफ्फरपुर में लाईं क्रांति ले आईं सुषमा
युवा नेता के रूप में सुषमा स्वराज को समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस को जीत दिलाने की जिम्मेदारी मिली थी। उनके पति स्वराज कौशल बड़ौदा डायनामाइट केस में जॉर्ज फर्नांडिस के वकील थे। 1976 में जॉर्ज मुजफ्फरपुर जेल में था, जहां से उन्होंने चुनाव लड़ा। लेकिन उनके लिए चुनाव प्रचार में सुषमा जी ने दिन रात मेहनत की। उन्होंने 'जेल का ताला टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा' का नारा दिया, जिसके बाद जॉर्ज जीत गए। इसके बाद एक नेता के रूप में सुषमा की अलग छवि बनकर उभरीं।