प्रदूषण पर सुप्रीम सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को बुधवार को निर्देश दिया कि वे सर्दियों की शुरुआत से पहले वायु प्रदूषण रोकने के उपायों का ब्योरा तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें। सुप्रीम कोर्ट इन निकायों में रिक्त पदों को भरने से संबंधित एक स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
सीएक्यूएम केंद्र द्वारा गठित एक वैधानिक निकाय है और इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं उसके आसपास के कुछ हिस्सों में वायु गुणवत्ता का प्रबंधन करना है। भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की अगुवाई वाली पीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को लेकर राज्यों पर नाखुशी जाहिर की और यूपी, हरियाणा, राजस्थान तथा पंजाब को तीन माह के भीतर इन्हें भरने का आदेश दिया। पीठ ने राज्यों और प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए प्रतिनियुक्ति या संविदा के आधार पर नियुक्ति करें।
वर्तमान में हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में क्रमशः 44, 43, 166 और 259 रिक्तियां हैं।
पंजाब सरकार से पूछा, पराली जलाने पर गिरफ्तारी क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि पराली जलाने में संलिप्त कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों न किया जाए, ताकि सख्त संदेश दिया जा सके। पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘आप निर्णय लें, अन्यथा हम आदेश देंगे।’ हालांकि, पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं का संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि गिरफ्तारियां उदाहरण पेश करने के लिए होनी चाहिए।