Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

परियोजनाओं को पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी से इनकार का सुप्रीम कोर्ट का फैसला वापस

पीठ का 2:1 के बहुमत से निर्णय, जस्टिस भुइयां ने जताई असहमति

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
सुप्रीम कोर्ट।
Advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2:1 के बहुमत से अपने 16 मई के उस फैसले को वापस ले लिया, जिसमें केंद्र को पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं को पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी (रेट्रोस्पेक्टिव एनवायरनमेंटल क्लियरेन्स) देने से रोक दिया गया था। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने वनशक्ति फैसले के खिलाफ दायर लगभग 40 पुनर्विचार और संशोधन याचिकाओं पर तीन अलग-अलग फैसले सुनाए।

जस्टिस एएस ओका (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने 16 मई को अपने फैसले में उन परियोजनाओं को पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देने से रोक दिया था, जो पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करती पाई गई थीं। सीजेआई गवई और जस्टिस चंद्रन ने 16 मई के फैसले को वापस ले लिया और मामले पर नये सिरे से पुनर्विचार के लिए उसे उचित पीठ के समक्ष भेज दिया।

Advertisement

सीजेआई ने कहा, ‘अगर मंजूरी की समीक्षा नहीं की गई तो 20,000 करोड़ रुपये की सार्वजनिक परियोजनाओं को ध्वस्त करना पड़ेगा। अपनी व्यवस्था में मैंने फैसला वापस लेने की अनुमति दी है। मेरे फैसले की मेरे भाई न्यायमूर्ति भुइयां ने आलोचना की है।'

Advertisement

जस्टिस भुइयां ने कड़ी असहमति जताते हुए कहा कि पूर्वव्यापी मंजूरी का पर्यावरण कानून में कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘पर्यावरण कानून में घटना के बाद दी जाने वाली मंजूरी जैसी कोई अवधारणा नहीं है' और उन्होंने इस विचार को ‘एक घोर अपवाद, एक अभिशाप, पर्यावरणीय न्यायशास्त्र के लिए हानिकारक' बताया।

Advertisement
×