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‘एक्स’ पर कर्नाटक में भी सुप्रीम कोर्ट!

कानूनी लड़ाई में केंद्र ने दिखाई फर्जी खातों की सच्चाई
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनियंत्रित ऑनलाइन गतिविधियों के खतरों को उजागर करने के लिए शुक्रवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में खुलासा किया कि ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक’ नाम से एक फर्जी और वह भी सत्यापित, एक्स अकाउंट बनाया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ कॉर्प के साथ चल रहे विवाद में केंद्र की ओर से पेश हुए मेहता ने इस अकाउंट को इस बात का सबूत बताया कि जनता को गुमराह करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का कितनी आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है।मेहता ने तर्क दिया, ‘हमने यह अकाउंट बनाया है। यह सत्यापित है। अब मैं कुछ भी पोस्ट कर सकता हूं और लाखों लोग मानेंगे कि कर्नाटक के सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कहा है।’ उन्होंने ऑनलाइन स्तर पर जवाबदेही की कमी को रेखांकित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस फर्जी खाते का इस्तेमाल कभी भी सामग्री पोस्ट करने के लिए नहीं किया गया और यह सिर्फ यह दिखाने के लिए बनाया गया था कि इस तरह की नकल मिनटों में कैसे हो सकती है। एक्स कॉर्प का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता केजी राघवन ने इस तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई और तर्क दिया कि ऐसी सामग्री को औपचारिक रूप से रिकॉर्ड में दर्ज किए बिना पेश नहीं किया जा सकता।

यह नाटकीय घटनाक्रम एक्स की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान हुआ, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) के तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा विषयवस्तु को हटाने के लिए जारी आदेशों को चुनौती दी गई थी। एक्स का तर्क है कि केवल अधिनियम की धारा 69ए के तहत प्रक्रिया, आईटी नियमों के साथ, सामग्री को ब्लॉक करने का आदेश जारी करने की अनुमति देती है।

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मेहता ने केंद्र की लंबे समय से चली आ रही चिंता को दोहराया, जो पहली बार ऐतिहासिक श्रेया सिंघल मामले में उठाई गई थी कि इंटरनेट यूजर्स स्वयं प्रकाशक, मुद्रक और प्रसारक की भूमिका निभाते हैं, जिससे नियामक निगरानी जटिल, लेकिन आवश्यक हो जाती है।

 

 

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