नयी दिल्ली, 26 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीमकोर्ट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट की याचिका पर निर्वाचन आयोग की कार्यवाही के खिलाफ दाखिल की गई उद्धव ठाकरे समूह की याचिका पर एक अगस्त को सुनवाई करने के लिए मंगलवार को सहमत हो गया। शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने स्वयं को असली शिवसेना के तौर पर मान्यता दिए जाने का अनुरोध किया है। प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ से, उद्वव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि निर्वाचन आयोग के समक्ष चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि इससे मामले में यहां सुनवाई प्रभावित होगी। सिब्बल ने कहा कि यहां शीर्ष अदालत में लंबित मामलों को निष्फल नहीं किया जाना चाहिए।
शिंदे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ से कहा, ‘ये बिल्कुल अलग-अलग मामले हैं। एक अध्यक्ष से संबंधित है और शीर्ष अदालत अयोग्यता, शक्ति परीक्षण आदि जैसे सभी मुद्दों पर सुनवाई कर रही है। निर्वाचन आयोग पार्टी के भीतर इस बात को देख रहा है कि कौन पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, उसके चिह्न और अयोग्यता का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’ पीठ ने पूछा कि निर्वाचन आयोग के समक्ष अभी तक क्या कार्यवाही की गई है। कौल ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग ने अभी केवल 8 अगस्त के लिए नोटिस जारी किए हैं।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह लंबित याचिकाओं के साथ ही इस याचिका पर एक अगस्त को सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को पार्टी और उसके चुनाव चिह्न (धनुष और बाण) पर अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था। निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया था कि दोनों पक्षों को दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया है, जिसमें पार्टी की विधायी तथा संगठनात्मक शाखा के समर्थन पत्र और प्रतिद्वंद्वी गुटों के लिखित बयान शामिल हैं। निर्वाचन आयोग के नोटिस जारी करने के बाद एक ताजा अर्जी शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई की एक लंबित याचिका के साथ दायर की गई। इसमें चुनाव आयोग को भी एक पक्ष बनाने के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति मांगी गई है।