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Sudarshan Reddy Story: खेतों में पला-बढ़ा बेटा बना संविधान का रक्षक, प्रेरणा देने वाली है सुदर्शन रेड्डी की कहानी

किसान के बेटे से लेकर न्यायाधीश तक: सुदर्शन रेड्डी के नाम कई उपलब्धियां
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Sudarshan Reddy Story : पहले न्यायविद और फिर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के बाद बी. सुदर्शन रेड्डी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर इस बार भी संविधान की रक्षा कर अपनी लड़ाई जारी रखने की कोशिश की। उपराष्ट्रपति चुनाव को वैचारिक लड़ाई के रूप में लड़ने वाले रेड्डी को मंगलवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से हार का सामना करना पड़ा।

मृदुभाषी रेड्डी ने देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुनाव की गरिमा को बनाए रखा और बीते सप्ताहों में अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। रेड्डी ने कहा था कि उन्होंने हमेशा संविधान की रक्षा के लिए काम किया और यह यात्रा आज भी जारी है। शुरुआती जीवन में ही रेड्डी समाजवादी विचारकों, विशेषकर दिवंगत राममनोहर लोहिया के प्रभाव में आ गए और बाद में उन्होंने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।

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विपक्ष रेड्डी को उन चुनिंदा न्यायविदों में से एक मानता है, जो संविधान को भारत के सबसे गरीब और वंचित लोगों के उत्थान के लिए एक रूपरेखा के रूप में देखते हैं। जुलाई 1946 में जन्मे न्यायमूर्ति रेड्डी को दो मई, 1995 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया और बाद में पांच दिसंबर, 2005 को वह गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। वह 12 जनवरी, 2007 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने और आठ जुलाई, 2011 को सेवानिवृत्त हुए।

न्यायमूर्ति रेड्डी 27 दिसंबर, 1971 को हैदराबाद में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने 1988 से 1990 के दौरान हाई कोर्ट में सरकारी वकील के रूप में और 1990 के दौरान छह महीने के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता के रूप में भी काम किया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील भी रह चुके हैं।

न्यायमूर्ति रेड्डी मार्च 2013 में गोवा के पहले लोकायुक्त बने थे, लेकिन सात महीने के भीतर ही निजी कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वह हैदराबाद स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता एवं मध्यस्थता केंद्र के न्यासी बोर्ड के सदस्य भी हैं। राज्यसभा के महासचिव और निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने नतीजों की घोषणा की और कहा कि कुल 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ। राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 तथा विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए। उन्होंने बताया कि इस मतदान में निर्वाचक मंडल के कुल 781 सदस्यों में से 767 (एक डाक मतपत्र समेत) ने मतदान किया था, जिसमें 15 वोट अवैध करार दिए गए।

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