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Stubble Burning : आंकड़े दे रहे राहत का संदेश, पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में आई उल्लेखनीय कमी

हरियाणा में इसके 662 मामले सामने आए, जो 91 प्रतिशत कम हैं
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Stubble Burning : पंजाब और हरियाणा में इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में आसमान अपेक्षाकृत साफ ​​​​रहा है। वायु गुणवत्ता में सुधार आया है। जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

राज्य सरकार ने कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2025 में खेतों में आग लगाने की 5,114 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2021 की तुलना में 93 प्रतिशत तक कम है। हरियाणा में इसके 662 मामले सामने आए, जो 91 प्रतिशत कम हैं। ‘कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन ऐग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस' (CREAMS) प्रयोगशाला से प्राप्त उपग्रह आंकड़ों ने धान की पराली जलाने में भारी कमी का संकेत दिया है, जो 57 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। यहां 2023 में इसके कुल 42,962 मामले थे, जो 2024 में घटकर 18,457 हो गए। कई जिलों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला।

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संगरूर में पराली जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जहां 2025 में 693 मामले सामने आए, जबकि फिरोजपुर में 59 प्रतिशत और मुक्तसर में 55 प्रतिशत की कमी देखी गई। तरन तारन में खेतों में आग लगाने की 685 और बठिंडा में 368 घटनाएं सामने आई। इन दोनों में भी पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। हरियाणा में सबसे ज्यादा मामले जींद (47), फतेहाबाद (28) और कैथल (27) से थे। खेतों में आग लगाने की घटनाओं में कमी आने से दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है।

आंकड़ों के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के 200 से नीचे रहने वाले दिनों की संख्या 2016 में 110 दिन थी जो 2025 में बढ़कर 200 दिन हो गई है। विशेषज्ञों के हवाले से बयान में कहा गया है कि यह सुधार सरकारी नीतियों, किसानों में जागरूकता, नई कृषि पद्धतियों के उपयोग और निजी क्षेत्र की पहलों का परिणाम है। अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली कंपनियां किसानों को फसलों के अवशेषों को खेतों में जलाने के बजाय नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए उनका उपयोग करने में मदद कर रही हैं।

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