Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Stray Dogs Case : कुत्तों के काटने के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- अस्पताल, स्कूल, स्टेशन से जानवरों को हटाया जाए

न्यायालय ने संस्थागत क्षेत्रों, राजमार्गों से आवारा कुत्तों और जानवरों को हटाए जाने का आदेश दिया

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

Stray Dogs Case : सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक केंद्रों, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाओं में ‘‘खतरनाक वृद्धि'' का शुक्रवार को संज्ञान लिया और प्राधिकारियों को ऐसे कुत्तों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में ले जाने का निर्देश दिया। न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सहित सभी प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से आवारा पशुओं और मवेशियों को हटाया जाए। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों के मामले में कई निर्देश पारित किए।

पीठ ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस अड्डों, डिपो और रेलवे स्टेशनों जैसे संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि को देखते हुए यह न्यायालय आवारा कुत्तों के प्रबंधन, जन सुरक्षा और स्वास्थ्य के हित में निम्नलिखित निर्देश जारी करना उचित समझता है। उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने-अपने स्थानीय या नगरपालिका प्राधिकारियों के माध्यम से दो सप्ताह के भीतर ऐसे संस्थानों की पहचान करने का निर्देश दिया। परिसर में पर्याप्त बाड़, चारदीवारी, द्वारों और ऐसे अन्य संरचनात्मक उपायों का प्रबंध सुनिश्चित किया जाए जो आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक हों।

Advertisement

उसने कहा कि यह कार्य जल्द से जल्द किया जाए और बेहतर होगा कि इसे आठ सप्ताह के भीतर पूरा किया जाए। ऐसे संस्थानों का प्रबंधन एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा जो परिसर के रखरखाव एवं सफाई के लिए जिम्मेदार होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि आवारा कुत्ते परिसर में प्रवेश न करें या न रहें। उक्त अधिकारी का विवरण प्रवेश द्वार पर स्थायी रूप से प्रदर्शित किया जाएगा और उसके बारे में संबंधित नगर निकाय या प्राधिकरण को सूचित किया जाएगा। स्थानीय नगर निकाय और पंचायत ऐसे सभी परिसरों का हर तीन महीने में कम से कम एक बार नियमित निरीक्षण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन संस्थानों के भीतर या आसपास आवारा कुत्तों का कोई निवास स्थान न हो।

Advertisement

पीठ ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान या अन्य संस्थानों के परिसर में पाए जाने वाले प्रत्येक आवारा कुत्ते को पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार उचित बधियाकरण और टीकाकरण के बाद तुरंत एक निर्दिष्ट आश्रय स्थल में ले जाना उस नगर निकाय या प्राधिकरण की जिम्मेदारी होगी जिसका वह अधिकार क्षेत्र होगा। आवारा कुत्तों को उसी स्थान पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा जहां से उन्हें उठाया गया था। हमने जानबूझकर ऐसे आवारा कुत्तों को उसी स्थान पर न छोड़ने का निर्देश दिया है जहां से उन्हें उठाया गया हों क्योंकि ऐसा करने की अनुमति देने से ऐसे संस्थागत क्षेत्रों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने के लिए जारी किए गए निर्देशों का प्रभाव ही विफल हो जाएगा।

पीठ ने राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा अगस्त में पारित एक आदेश का हवाला दिया जिसमें शहर की सड़कों और राजमार्गों पर आवारा पशुओं के खतरे से निपटने के लिए निर्देश जारी किए गए थे। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और एनएचएआई के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले राज्य राजमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों एवं राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे से सभी मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को हटाना सुनिश्चित करें। प्राधिकारी राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के उन हिस्सों की पहचान करने के लिए एक संयुक्त समन्वित अभियान चलाएंगे जहां आवारा मवेशी या जानवर अक्सर पाए जाते हैं और वे उन्हें हटाने एवं निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे।

पीठ ने कहा कि इस तरह उठाए गए मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को उपयुक्त केंद्रों में रखा जाएगा और उन्हें पशु क्रूरता निवारण अधिनियम एवं पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के प्रावधानों के अनुसार आवश्यक भोजन, पानी और पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाएगी। उसने प्राधिकारियों को समर्पित राजमार्ग गश्ती दल गठित करने और मौजूदा सड़क सुरक्षा इकाइयों को नियुक्त करने का निर्देश दिया जो निरंतर निगरानी करें एवं सड़कों पर आवारा पशुओं या अन्य जानवरों द्वारा अवरोध पैदा करने की शिकायतों पर तत्काल प्रतिक्रिया दें। सभी राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे पर नियमित अंतराल पर हेल्पलाइन नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने चाहिए ताकि यात्री आवारा पशुओं की उपस्थिति या उनके कारण होने वाली दुर्घटनाओं की तुरंत सूचना दे सकें।

पीठ ने कहा कि इन हेल्पलाइन को समस्या के तुरंत निवारण और निगरानी के लिए स्थानीय पुलिस, एनएचएआई और जिला प्रशासन के नियंत्रण कक्षों से जोड़ा जाएगा। मामले में आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है। न्यायालय ने तीन नवंबर को कहा था कि वह उन संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए अंतरिम दिशानिर्देश जारी करेगा जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं और उन्हें प्रश्रय देते हैं। न्यायालय ने उस मीडिया रिपोर्ट का 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान लिया था जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेषकर बच्चों में रेबीज फैलने की बात कही गई थी।

Advertisement
×