Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कुछ भारतीय अपनी ही भाषाएं नहीं जानते : मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को भारतीय भाषाओं और मातृभाषाओं के कम होते इस्तेमाल पर चिंता जताई और कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि कुछ भारतीय लोग अपनी ही भाषाएं नहीं जानते। नागपुर में...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
मोहन भागवत। -प्रेट्र
Advertisement
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को भारतीय भाषाओं और मातृभाषाओं के कम होते इस्तेमाल पर चिंता जताई और कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि कुछ भारतीय लोग अपनी ही भाषाएं नहीं जानते। नागपुर में भागवत ने संत ज्ञानेश्वरी द्वारा मूल रूप से मराठी में लिखी पुस्तक ‘श्री ज्ञानेश्वरी' के अंग्रेजी संस्करण के विमोचन कार्यक्रम में समाज से भाषाई विरासत के लुप्त होने पर आत्मचिंतन करने की अपील की।उन्होंने कहा, ‘एक समय था, जब सारा संचार, संवाद, रोज का काम संस्कृत में होता था। अब कुछ अमेरिकी प्रोफेसर हमें संस्कृत पढ़ाते हैं, जबकि वास्तव में हमें इसे दुनिया को सिखाना चाहिए था। आज कई बच्चे कुछ बहुत ही सरल और बुनियादी शब्द भी नहीं जानते और अक्सर घर पर अपनी मातृभाषा और अंग्रेज़ी मिश्रित भाषा बोलते हैं।' उन्होंने कहा कि अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि घर पर भारतीय भाषाएं बोलने में हिचकिचाहट की वजह से हालात और बिगड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर हम अपने घर में अपनी भाषा ठीक से बोलें, तो चीजें बेहतर होंगी। लेकिन हम ऐसा नहीं करते।' संत ज्ञानेश्वर का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि समाज को बेहतर ढंग से समझाने के लिए संत भगवद गीता का ज्ञान मराठी में लाए। उन्होंने कहा, ‘अब समस्या यह है कि अंग्रेजी भाषा में इतने शब्द नहीं हैं, जो हमारी भाषाओं में बताए गए भावों या विचारों के सार और उसकी गहराई को बता सकें। ज्ञानेश्वर के इस्तेमाल किए गए एक शब्द के लिए अकसर कई अंग्रेजी शब्दों की जरूरत पड़ती है, लेकिन फिर भी उसका वह वह भाव पूरी तरह से नहीं बताया जा सकता।'

Advertisement

Advertisement

Advertisement
×