Smile Scheme: गिरोहों के कब्जे में बचपन, हरियाणा का ऑपरेशन ‘सड़क से स्कूल’
Smile Scheme: लाल बत्ती पर थमे वाहनों के बीच एक छोटी हथेली कांच पर दस्तक देती है। मासूम आंखों में भूख, हाथ में टूटा कटोरा और पीछे छुपा खौफ। यह दृश्य अब महज गरीबी का नहीं, बल्कि संगठित अपराध का चेहरा है। हरियाणा के कई शहरों में बाल भिक्षावृत्ति एक ऐसा कारोबार बन चुका है, जहां बचपन को बोली लगाकर बेचा जाता है और मासूमियत को मुनाफे की मशीन बना दिया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की हालिया राज्यस्तरीय बैठक में खुलासा हुआ कि बच्चों को मानव तस्करों, आपराधिक गिरोहों और कभी-कभी रिश्तेदारों तक द्वारा भी पैसों के लिए भीख मंगवाने पर मजबूर किया जाता है। अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने कहा कि यह न केवल शिक्षा से वंचित करता है, बल्कि बच्चों को जीवनभर के शोषण और असुरक्षा के दलदल में धकेल देता है। केंद्र सरकार की ‘स्माइल’ योजना के तहत बच्चों को सड़क से स्कूल तक लाने का मिशन हरियाणा ने शुरू किया है।
पिछले तीन वर्षों में राज्यभर में 600 से ज्यादा नाबालिग बच्चों को भिक्षावृत्ति से छुड़ाया गया है। गुरुग्राम और फरीदाबाद में पुलिस ने ऐसे कई केस पकड़े हैं, जहां एक ही गिरोह 15-20 बच्चों को अलग-अलग चौराहों पर भेजकर रोज़ 20-25 हज़ार रुपये तक वसूल रहा था। 2024 में अंबाला में हुई कार्रवाई में 8 बच्चों को छुड़ाया गया, जिन्हें राजस्थान से लाकर भीख मंगवाई जा रही थी।
गैंग नेटवर्क पर सीधा वार
यह अभियान केवल बच्चों को सड़कों से हटाने तक सीमित नहीं रहेगा। पुलिस कार्रवाई, खुफिया सूचना साझाकरण और विभागों के समन्वय से उन नेटवर्क्स को खत्म किया जाएगा, जो बचपन को भी धंधा बना चुके हैं। राज्य सरकार ने इसे मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन मानते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया है। 15 दिन बाद फिर बैठक होगी, जिसमें मिशन की प्रगति का आकलन किया जाएगा और इस मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी होगी।
तीन चरणों की ‘स्माइल’ मुहिम
स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने कहा कि केंद्र सरकार की ‘स्माइल’ योजना के तहत तहत शुरू यह अभियान बच्चों को सड़क से स्कूल तक वापस लाने के मिशन के रूप में चलेगा। इसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।
- पहला चरण : जिला प्रशासन, पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर ट्रैफिक लाइट, धार्मिक स्थल और बाजार जैसे हॉटस्पॉट का सर्वे करेंगे और बच्चों की गिनती व पहचान करेंगे।
- दूसरा चरण : जिला टास्क फोर्स तुरंत बचाव अभियान चलाकर जरूरतमंद बच्चों को आश्रय में पहुंचाएगी, कानूनी संरक्षण दिलाएगी और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार होगी।
- तीसरा चरण : शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और पारिवारिक पुनर्मिलन के प्रयास होंगे, साथ ही पुनर्वासित बच्चों की निगरानी होगी ताकि वे दोबारा शोषण के जाल में न फंसें।