एसआईटी की वनतारा को ‘क्लीन चिट’
वनतारा से जुड़े मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के जामनगर स्थित इस प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच दल का गठन किया था। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अधिकारियों ने वनतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतोष व्यक्त किया है।
यह रिपोर्ट शुक्रवार को प्रस्तुत की गई थी और शीर्ष अदालत ने सोमवार को इसका अवलोकन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक विस्तृत आदेश पारित करेगी। हालांकि, गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वनतारा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एसआईटी रिपोर्ट के विवरण को अपने आदेश में शामिल करने की पीठ की टिप्पणी पर आपत्ति जताई। साल्वे ने दावा किया कि जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों ने वनतारा का दौरा किया, तो केंद्र का पूरा स्टाफ उनकी निगरानी में था और उन्हें हर चीज दिखाई जा रही थी। उन्होंने कहा, ‘जानवरों की देखभाल कैसे की जा रही है; आप इन जानवरों को कैसे रखते हैं, इसे लेकर कुछ औचित्य संबंधी चिंताएं हैं। इन्हें विकसित करने के लिए विशेषज्ञों पर भारी धनराशि खर्च की गई है, और इसमें कुछ हद तक व्यावसायिक गोपनीयता भी है।’
साल्वे ने आगे कहा, ‘यह ऐसी चीज है जो दुनिया की प्रतिद्वंद्वी है... एक आख्यान गढ़ा गया है जो इसे गिराने की कोशिश कर रहा है। अगर पूरा रिकॉर्ड सामने रखा जाता है, तो हम नहीं चाहते कि बाकी दुनिया को पता चले क्योंकि कल, न्यूयॉर्क टाइम्स में कोई और लेख होगा या आप टाइम्स मैगजीन में कोई और लेख देखेंगे।’ पीठ ने कहा कि वह अब और कोई विवाद नहीं होने देगी और मामले को बंद कर देगी।
पीठ ने कहा, ‘हम किसी को भी ऐसी आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देंगे... हम समिति की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं... अब, हमारे पास एक स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट है; उन्होंने हर चीज का अध्ययन किया है; उन्होंने विशेषज्ञों की मदद ली है। उन्होंने जो भी प्रस्तुत किया है, हम उसी के अनुसार कार्य करेंगे। और सभी अधिकारी सिफारिशों और सुझावों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।’
जब एक वकील ने इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी और कहा कि उनकी याचिका वनतारा में एक मंदिर के हाथी को लाए जाने से संबंधित है, तो पीठ ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया।