सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 27 जुलाई
दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धस्थल अब पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। चीन के साथ सीमा पर तनावपूर्ण माहौल के बीच यह भारत का एक बड़ा कदम है। सेना ने सियाचिन बेस कैंप और लद्दाख में कुमार पोस्ट को नागरिकों के लिए खोल दिया है। दुनिया के सबसे ऊंचे नान-पोलर ग्लेशियर खोलने का फैसला पिछले साल अक्तूबर में ही हो चुका था लेकिन अब इसे लागू किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक सियाचिन बेस कैंप लेह से करीब 225 किलोमीटर उत्तर में है। अभी यह खारदुंग ला और नुब्रा नदी किनारे बनी ब्लैक टॉप रोड से जुड़ा है। बेस कैंप करीब 11,000 फीट की ऊंचाई पर है। जबकि कुमार पोस्ट 15,000 फीट ऊंचाई पर है।
सेना देगी परमिशन
सियाचिन जाने के लिए सेना द्वारा परमिशन दिया जाएगा। इसके लिए टूरिस्टों को अप्लाई करना होगा, जिसके बाद वहां से अनुमति मिलेगी। अनुमति मिलने के बाद सेना की निगरानी में ही पर्यटक घूम सकेंगे। बता दें कि सियाचिन का तापमान बहुत कम रहता है और वहां आम लोगों को जाना मुश्किल भरा हो सकता है। फिलहाल लेह से 40 किलोमीटर के दायरे में ही गैर-स्थानीय लोग जा सकते हैं।
सबसे खर्चीला युद्ध मैदान
यह विश्व का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित युद्धस्थल ही नहीं बल्कि सबसे खर्चीला युद्ध मैदान भी है। आपरेशन मेघदूत के 36 साल बाद आज भी रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लैशियर पर भारत का कब्जा है। यह विजय भारतीय सेना के शौर्य, नायकत्व, साहस और त्याग की मिसाल है। विश्व के सबसे ऊंचे और ठंडे माने जाने वाले इस रणक्षेत्र में आज भी भारतीय सैनिक देश की संप्रभुता के लिए डटे रहते हैं।
76.4 किमी लंबा है ग्लेशियर
यह उत्तर पश्चिम भारत में काराकोरम रेंज में स्थित है। सियाचिन ग्लेशियर 76.4 किमी लंबा है और इसमें लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर विरान मैदान शामिल हैं। सियाचिन के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ चीन की सीमा अक्साई चीन इस इलाके को छूती है। ऐसे में अगर पाकिस्तानी सेना ने सियाचिन पर कब्जा कर लिया होता तो पाकिस्तान और चीन की सीमा मिल जाती। चीन और पाकिस्तान का ये गठजोड़ भारत के लिए कभी भी घातक साबित हो सकता था। सबसे अहम ये कि इतनी ऊंचाई से दोनों देशों की गतिविधियों पर नजर रखना भी आसान है।