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Sholay Scene : शोले के सीन पर फिर छिड़ी बहस... जावेद अख्तर का बयान सोशल मीडिया पर ट्रोल

‘शोले' के दृश्य पर जावेद अख्तर के बयान को लेकर विवाद: लकी अली ने की आलोचना

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Sholay Scene : ‘शोले' फिल्म में धर्मेंद्र को भगवान शिव की मूर्ति के पीछे छिपकर संवाद बोलते हुए दिखाने के दृश्य पर एक बयान को लेकर गीतकार एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर गायक लकी अली समेत कई आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। जावेद अख्तर ने टिप्पणी की थी कि वह ‘शोले' फिल्म के इस दृश्य जैसा संवाद आज नहीं लिख सकते। सोशल मीडिया पर उपलब्ध इस वीडियो में गीतकार-लेखक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर चर्चा करते हुए यह टिप्पणी करते नजर आते हैं।

यह वीडियो कब का है, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है लेकिन यह फिर से व्यापक स्तर पर प्रसारित हुआ है। इस वीडियो में मुसलमानों और हिंदुओं को लेकर व्यक्त किए गए विचारों के कारण गायक लकी अली समेत कई लोगों ने अख्तर की आलोचना की है। अली ने अख्तर के वीडियो को लेकर टिप्पणी करते हुए ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘जावेद अख्तर जैसा मत बनो, वह असली नहीं हैं और वह बहुत ‘कुरूप' हैं...। मेरा मतलब था कि अहंकार कुरूप होता है... यह मेरी ओर से एक गलत संदेश था... राक्षसों की भी भावनाएं हो सकती हैं और अगर मैंने किसी की राक्षसी प्रकृति को ठेस पहुंचाई है तो मैं क्षमा चाहता हूं।''

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इस वीडियो में अख्तर ‘शोले' के उस दृश्य का जिक्र करते नजर आ रहे हैं जिसमें वीरू का किरदार निभाने वाले धर्मेंद्र शिव की मूर्ति के पीछे छिप जाते हैं और बसंती (हेमा मालिनी द्वारा निभाया गया किरदार) को लगता है कि वह भगवान की आवाज सुन रही है।अख्तर ने कहा, ‘‘क्या आज ऐसा दृश्य संभव है? नहीं, मैं आज ऐसा दृश्य नहीं लिखूंगा। क्या 1975 में हिंदू नहीं थे? क्या तब धार्मिक लोग नहीं थे? थे। दरअसल, मैं यह बात रिकॉर्ड में कह रहा हूं, मैं यह बात यहीं नहीं कह रहा हूं। मैं और राजू हिरानी पुणे में एक बड़े दर्शक वर्ग के समक्ष थे और मैंने कहा था, ‘मुसलमानों की तरह मत बनो। उन्हें अपने जैसा बनाओ। तुम मुसलमानों की तरह बन रहे हो।' यह एक त्रासदी है।''

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अख्तर की इस टिप्पणी को लेकर अली के अलावा कई अन्य लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। एक ‘यूजर' ने लिखा, ‘‘जावेद अख्तर हिंदुओं से कहते हैं, मुसलमानों जैसे मत बनो। उन्हें अपने जैसा बनाओ। मुसलमानों जैसे मत बनो। यह एक त्रासदी है। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने खुद को बुद्धिमान कहने वाले इस बेशर्म धर्मांध को दिया गया निमंत्रण वापस लेकर सही किया।'' उसने इस साल अगस्त में कुछ मुस्लिम समूहों के विरोध के बाद अख्तर के ‘मुशायरे' को स्थगित करने के पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी के फैसले का जिक्र करते हुए यह प्रतिक्रिया दी।

अख्तर ‘एक्स' पर अपने ‘पोस्ट' में ‘ट्रोल' और आलोचकों पर अक्सर निशाना साधते हैं लेकिन उन्होंने अली की टिप्पणियों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बहरहाल, उन्होंने अपने विचार व्यक्त करने के कारण उन्हें मिलने वाली नफरत के बारे में जरूर बात की और लोगों से धर्मनिरपेक्ष बनने का आग्रह किया। इस पर एक ‘यूजर' ने लिखा, ‘‘आज आपको मस्जिद के पीछे वही दृश्य लिखने से क्या बात रोक रही है?... 50 साल बाद आप हिंदुओं को मुसलमान न बनने की सलाह दे रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी मुसलमानों को 50 साल पहले हिंदुओं जैसा बनने की सलाह दी थी?''

अख्तर ने जवाब में लिखा कि मेरे मित्र, अगर किसी दिन हम कहीं मिलें तो मैं तुम्हें वे नफरत भरे ईमेल दिखाऊंगा जो मुझे तुम्हारे जैसे दक्षिणपंथी मुसलमानों से मिलते हैं। वैसे, पिछले कुछ वर्षों में... मुंबई पुलिस ने मुझे चार बार सुरक्षा दी है जो मैंने नहीं मांगी थी बल्कि खुफिया एजेंसियों ने उसे मेरे खिलाफ किसी खतरे को लेकर सचेत किया था। इन चार में से तीन बार तो खतरा दक्षिणपंथी ‘एम' समूहों से था इसलिए मुझे सिखाने के बजाय खुद धर्मनिरपेक्ष बनने की कोशिश करो। अली और अख्तर से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।

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