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Sholay @50years : न बसंती न राधा, सिर्फ जय-वीरू... पहले ऐसी थी शोले की कहानी

न बसंती न राधा, केवल दो फौजी और एक डकैत का विचार था : शोले पर जावेद अख्तर
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दिग्गज पटकथा लेखक जावेद अख्तर का कहना है कि ‘शोले' की कहानी की शुरुआत में न बसंती थी और न राधा थी। केवल दो पूर्व सैनिक और एक डकैत का विचार था। हालांकि इसमें कई बदलाव हुए और यह एक कालजयी फिल्म के रूप में सामने आई।

शोले फिल्म के 50 साल पूरे होने पर अख्तर ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में एक सेवानिवृत्त मेजर और दो अनुशासनहीन सिपाहियों की कहानी के बारे में सोचा था। इस फिल्म की पटकथा लेखक जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखी थी। अख्तर ने कहा कि यह सलीम साहब का विचार था कि एक ऐसा किरदार हो जो रिटायर्ड मेजर हो। उसके साथ दो सैनिक हों जिन्हें अनुशासनहीनता के कारण सेना से निकाला गया हो।

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हम सेना को लेकर कोई छूट नहीं ले सकते थे। इसलिए बाद में तय किया गया कि एक पुलिस अफसर और दो अपराधियों पर फिल्म का तानाबाना बुना जाए। उस वक्त न तो बसंती और न ही राधा जैसे किरदारों की कल्पना की गई थी। शुरुआत में केवल डकैत का विचार था। धीरे-धीरे कहानी बढ़ी और अन्य किरदार जुड़ते गए। तब हमें महसूस हुआ कि यह एक मल्टी-स्टारर फिल्म बन सकती है।

हालांकि हमने इसे कभी भव्य फिल्म के रूप में नहीं सोचा था। रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी ‘शोले' 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी। इसमें अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, संजीव कुमार, अमजद खान, जया भादुरी और हेमा मालिनी सहित कई कलाकार थे। शुरुआती हफ्तों में फिल्म को धीमी प्रतिक्रिया मिली, लेकिन बाद में यह ब्लॉकबस्टर साबित हुई।

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