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Shibu Soren Funeral झारखंड के 'दिशोम गुरु' को अंतिम विदाई: पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

झारखंड की आत्मा माने जाने वाले वरिष्ठ आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन को मंगलवार को रामगढ़ जिले के उनके पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। 'गुरुजी' या 'दिशोम...
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन सोमवार रात रांची में अपने पिता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को ले जाते हुए। -पीटीआई
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झारखंड की आत्मा माने जाने वाले वरिष्ठ आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन को मंगलवार को रामगढ़ जिले के उनके पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। 'गुरुजी' या 'दिशोम गुरु' के नाम से विख्यात शिबू सोरेन ने सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 81 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली थी। वह किडनी संबंधी बीमारी से लंबे समय से जूझ रहे थे।

उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से विशेष विमान द्वारा रांची लाया गया, जहां हजारों की संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़े। हवाई अड्डे से मोराबादी स्थित आवास तक फूलों से सजी खुली गाड़ी में अंतिम यात्रा निकाली गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधायक कल्पना सोरेन, और विधायक भाई बसंत सोरेन इस पूरे सफर में पार्थिव शरीर के साथ मौजूद रहे। इस दौरान भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कल्पना सोरेन की आंखें नम थीं। उन्होंने कहा, "सब कुछ वीरान हो गया है...आपका संघर्ष, आपका प्यार, आपकी प्रतिबद्धता—आपकी यह बेटी कभी नहीं भूलेगी।"

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नेमरा में उमड़ा जनसैलाब

नेमरा गांव में सोमवार से ही भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। मंगलवार को जैसे ही अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हुईं, लोगों की आंखें नम हो गईं। गांव के हर घर से एक ही आवाज आई—"दिशोम गुरु नहीं रहे।"
झारखंड सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है, जो 6 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान राज्य के अधिकतर स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई और कई विद्यालयों में दिवंगत नेता की आत्मा की शांति के लिए विशेष प्रार्थनाएं की गईं।

अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं कई बड़े नेता

रामगढ़ प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात की विशेष व्यवस्था की है, क्योंकि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई राष्ट्रीय नेताओं के नेमरा पहुंचने की संभावना जताई गई है।

संसद और विधानसभा की कार्यवाही स्थगित

सोरेन के निधन पर राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं, झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कहा, “यह केवल झारखंड के लिए नहीं, पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वह गरीबों और आदिवासियों की आवाज थे।”

एक युग का अंत

शिबू सोरेन ने 1980 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा को मजबूत आधार दिया और झारखंड अलग राज्य आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने झारखंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया और बाद में राज्यसभा सदस्य बने। उनका जाना झारखंड की राजनीतिक चेतना और आदिवासी अधिकारों की लड़ाई के एक युग के अंत जैसा है।

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