14 दिन के बच्चे और पति को छोड़कर जाना पड़ा पाकिस्तान
नीरज बग्गा/ट्रिन्यू
अटारी, 30 अप्रैल
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बुधवार को अटारी-वाघा संयुक्त चेक पोस्ट (जेसीपी) से जमीनी रास्ते से अपने राज्य में रह रहे कई पाकिस्तानी नागरिकों को वापस पाकिस्तान भेज दिया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर सरकार ने यह कदम उठाया है।
हंदवाड़ा, कुपवाड़ा, बारामुल्ला, बडगाम और पहाड़ी राज्य के अन्य जिलों से निर्वासित लोगों को पुलिस बसों में लाया गया। जैसे ही पुलिस ने बस के दरवाजे खोले, राजौरी की सारा खान बाहर निकली और मीडियाकर्मियों को दास्तां सुनाई। अपने नवजात शिशु को लेकर, पाकिस्तानी नागरिक सारा ने बताया कि उसे आधी रात को जगाया गया और वापस भेजने के लिए अटारी लाया गया। उसने बताया कि उसने 14 दिन पहले सिजेरियन ऑपरेशन के ज़रिए एक बेटे को जन्म दिया था और डॉक्टरों ने उसे यात्रा न करने की सलाह दी थी। सारा खान का एक छह वर्षीय बेटा उमर हयात भी है। वह भी पाकिस्तानी नागरिक है। सारा को दो साल का लॉन्ग टर्म वीज़ा जारी किया गया था, जिसकी अवधि जुलाई 2026 में समाप्त हो रही है। सारा के पति औरंगज़ेब खान ने बताया कि उसने 2017 में अपनी चचेरी बहन सारा से शादी की थी। वह पीओके के मीरपुर में पैदा हुई। उसके माता-पिता 1965 में भारत से यहां आकर बस गए थे।
कुपवाड़ा के रियाज़ खान ने बताया कि उनके पिता भारतीय सेना में थे और उन्होंने जिला विकास परिषद, कुपवाड़ा का चुनाव लड़ा था, फिर भी उन्हें निर्वासित किया जा रहा है। 18 वर्ष बाद, उन्हें अपनी पत्नी और तीन बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान भेजा जा रहा था। पुलिस बस की जालीदार खिड़की के पीछे से, उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए अपना आधार कार्ड दिखाया। भारतीय नागरिक होने का दावा करने वाली राधा ने कहा कि उन्हें कठुआ जिले में उनके निवास से आधी रात को उठाया गया था। 60 वर्ष की आयु वाली राधा ने कहा कि पाकिस्तान में उनका कोई रिश्तेदार नहीं है और उनके सभी बेटे और बेटियां जम्मू क्षेत्र में रहते हैं।