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Shashi Tharoor का अमेरिका में स्पष्ट संदेश : भारत को किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं

वॉशिंगटन, 5 जून (एजेंसी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक संघर्ष विराम में मध्यस्थता के दावों पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कड़ा जवाब देते हुए कहा है कि भारत को न तो किसी की मध्यस्थता की ज़रूरत है,...
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कांग्रेस के शशि थरूर कोलंबिया के बोगोटा में मीडिया को संबोधित करते हुए। पीटीआई
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वॉशिंगटन, 5 जून (एजेंसी)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक संघर्ष विराम में मध्यस्थता के दावों पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कड़ा जवाब देते हुए कहा है कि भारत को न तो किसी की मध्यस्थता की ज़रूरत है, न ही यह बताने की कि उसे कब रुकना है।

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अमेरिका यात्रा पर आए सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थरूर ने बुधवार को नेशनल प्रेस क्लब में कहा कि हम अमेरिका के राष्ट्रपति पद का सम्मान करते हैं, लेकिन भारत ने कभी किसी से मध्यस्थता करने की अपील नहीं की। भारत आत्मनिर्भर है और अपनी सुरक्षा का जवाब खुद देना जानता है।

थरूर ने पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में चेताया कि जब तक वे आतंकवाद की भाषा बोलेंगे, हम बल की भाषा में जवाब देंगे। हमें किसी तीसरे की ज़रूरत नहीं जो हमें बताए कि कब रुकना है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान वास्तव में आतंकवाद के ढांचे को ध्वस्त करता है और भरोसेमंद पहल करता है, तो भारत उससे सीधी बातचीत के लिए तैयार हो सकता है – लेकिन किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं होगी।

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में भूमिका निभाई है। इस पर थरूर ने कहा कि अगर अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा कि भारत रुकने को तैयार है, इसलिए तुम भी रुको – तो वह पाकिस्तान के लिए एक सकारात्मक संदेश हो सकता है। लेकिन भारत ने कभी अपनी ओर से रुकने की कोई गुहार नहीं लगाई।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि हम उन लोगों से बात नहीं कर सकते जो हमारी कनपटी पर बंदूक ताने खड़े हैं। पहले आतंकवाद रुके, फिर बातचीत हो सकती है।

ये थे प्रतिनिधिमंडल में शामिल

प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के तेजस्वी सूर्या, शशांक मणि त्रिपाठी और भुवनेश्वर कलिता, शिवसेना के मिलिंद देवड़ा, टीडीपी के जी. हरीश बालयोगी, जेएमएम के सरफराज अहमद और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं। यह दल ब्राज़ील, कोलंबिया, पनामा और गुयाना होते हुए अमेरिका पहुंचा है। थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के संबंध रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं, और इस साझेदारी को “छोटी-छोटी बातों से प्रभावित नहीं होने देंगे।

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