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Shah-Qureshi Controversy : टिप्पणी के बाद मंत्री शाह की गैरहाजिरी, मंत्रिपरिषद की बैठक में नहीं आए नजर

कर्नल कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप से घिरे मंत्री शाह मंत्रिपरिषद की बैठक से गायब
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इंदौर, 20 मई (भाषा)

Shah-Qureshi Controversy : "ऑपरेशन सिंदूर" की जानकारी मीडिया से साझा करने वाली भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप से घिरे मध्यप्रदेश के काबीना मंत्री विजय शाह मंगलवार को इंदौर में आयोजित राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में नजर नहीं आए। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि शाह, मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में, शहर के ऐतिहासिक राजबाड़ा महल में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में शामिल नहीं हुए।

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शाह के पास जनजातीय कार्य विभाग, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग हैं। इंदौर जिले के रायकुण्डा गांव में शाह ने 12 मई को ‘हलमा' (सामूहिक श्रमदान और सामुदायिक सहभागिता की जनजातीय परम्परा) के सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कर्नल कुरैशी के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस बयान पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के खुद संज्ञान लेने के बाद काबीना मंत्री के खिलाफ मानपुर पुलिस थाने में गंभीर आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अफसरों का विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया है। इस बीच, कांग्रेस ने फिर मांग की है कि शाह को राज्य मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक बयान में कहा, "उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने कर्नल कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए शाह को कड़ी फटकार लगाई है और उनकी माफी खारिज की है। इसके बावजूद शाह की बर्खास्तगी पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया गया?"

मंत्रिपरिषद की बैठक से पहले मुख्यमंत्री यादव और उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को पारम्परिक मालवी पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत किया गया। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री की कुर्सी के पास देवी अहिल्याबाई की मूर्ति रखी गई थी। बैठक "विकसित मध्यप्रदेश 2047" के दृष्टिपत्र के बारे में मंथन पर केंद्रित थी। बैठक से पहले, मुख्यमंत्री यादव ने राजबाड़ा के दरबार हॉल के संरक्षण और पुनर्स्थापना के कार्य की औपचारिक शुरुआत की।

प्रदेश सरकार ने देवी अहिल्याबाई के 300वें जयंती वर्ष के समापन के अवसर पर होलकर शासकों की राजधानी रहे इंदौर के राजबाड़ा में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की। इसके लिए राजबाड़ा को इसके ऐतिहासिक स्वरूप में सजाया गया। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार होलकरकालीन राजबाड़ा में प्रदेश मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। राजबाड़ा, पूर्व होलकर शासकों का ऐतिहासिक महल है।

राजबाड़ा का निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था और यह महल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। इंदौर की सांस्कृतिक पहचान से जुड़े राजबाड़ा की वास्‍तुकला फ्रांसीसी, मराठा और मुगल शैली के कई रूपों व वास्तु शैलियों का मिश्रण है। लकड़ी और पत्थर से बनी यह सात मंजिला इमारत शहर के बीचों-बीच स्थित है। पिछले साल 31 मई से देवी अहिल्याबाई का 300वां जयंती वर्ष प्रारंभ हुआ था। तब से उनके सम्मान में देश भर में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।

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