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अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की सेवाएं समाप्त

शिरोमणि कमेटी की विशेष बैठक में बड़ा फैसला

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ज्ञानी रघबीर सिंह
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अमृतसर/ संगरूर, 7 मार्च (ट्रिन्यू/ निस)

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आंतरिक समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लिया गया। हालांकि, श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी और ग्रंथी के तौर पर दोनों की सेवाएं जारी रहेंगी। शिरोमणि कमेटी ने सिख प्रचारक कुलदीप सिंह गड़गज को अकाल तख्त का कार्यकारी जत्थेदार और तख्त श्री केसगढ़ साहिब का जत्थेदार नियुक्त किया है। इसी तरह संत टेक सिंह धनौला को तख्त श्री दमदमा साहिब का जत्थेदार मनोनीत किया गया है। इस बीच, शिरोमणि कमेटी की वार्षिक बजट बैठक 28 मार्च को बुलाई गयी है। शिरोमणि कमेटी के प्रधान पद से एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के इस्तीफे का मामला फिर लंबित रखा गया है।

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शिरोमणि कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क ने बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त के नये जत्थेदार की नियुक्ति सभी सिख संस्थाओं, जत्थेबंदियों और संप्रदायों के परामर्श के बाद की जाएगी। तब तक तख्त श्री केसगढ़ साहिब के नवनियुक्त जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार के रूप में सेवा निभाएंगे। आंतरिक कमेटी में शामिल विपक्षी सदस्य जसवंत सिंह पुड़ैन ने कहा कि अमरीक सिंह विछोआ और अन्य सदस्यों ने फैसले का विरोध किया। उन्होंने लिखित असहमति भी दाखिल की है।

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पंथ को योग्य नेतृत्व देने में असमर्थ रहे : विर्क

ज्ञानी रघबीर सिंह की सेवाएं समाप्त करने के कारणों की जानकारी देते हुए रघुजीत सिंह विर्क ने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में वह कौम का मार्गदर्शन करने और प्रभावी नेतृत्व प्रदान करने में असमर्थ रहे। उन्होंने कहा कि पंथ विरोधी ताकतें और एजेंसियां, ​​सिख संगठनों के अस्तित्व को कमजोर करने की कोशिशें कर रही हैं। नाजुक समय में पंथक शक्ति को मजबूत करने के बजाय जत्थेदार ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं, जिससे यह कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि ज्ञानी रघबीर सिंह ने अपने हठ भरे व्यवहार और बार-बार बयान बदल कर इस प्रतिष्ठित पद की गरिमा को काफी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने बताया कि आंतरिक समिति ने महसूस किया कि कई कमियों, अनियमितताओं और मर्यादा के उल्लंघन के मद्देनजर ज्ञानी रघबीर सिंह को जत्थेदार के ओहदे से सेवामुक्त किया जाये।

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