मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

स्पीति के एक हज़ार साल पुराने ताबो मठ पर मौसमी संकट!

मिट्टी की संरचनाओं और भित्तिचित्रों के हिस्से ख़तरे में, एएसआई को लिखा पत्र
Advertisement

सुभाष राजटा/ट्रिन्यू

शिमला, 24 जून

Advertisement

स्पीति घाटी में 1,000 साल से भी ज़्यादा पुराना ताबो मठ जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। पिछले कुछ सालों में बादल फटने और उसके कारण होने वाली बाढ़ की बढ़ती घटनाओं से चिंतित मठ ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखकर तत्काल बचाव के कुछ उपाय करने को कहा है, ताकि मौसम की चरम स्थितियों के दौरान मठ को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। मठ के पुजारी लामा सोनम कुंगा ने कहा, ‘हमने एएसआई से मठ की संरचनाओं पर अस्थायी सुरक्षात्मक छत लगाने और जल निकासी व्यवस्था में सुधार करने का आग्रह किया है, ताकि मानसून के दौरान मठ को होने वाले किसी भी नुकसान से बचा जा सके।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे अनुरोध के बाद, एएसआई की एक टीम ने कुछ दिन पहले मठ का दौरा किया। उम्मीद है कि एएसआई हमारी चिंता को समझेगा और जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करेगा।’ पुजारी ने कहा कि पिछले चार-पांच सालों में इस क्षेत्र में बादल फटने और अचानक बाढ़ जैसी घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है, जिससे मठ में पुरानी और कमज़ोर मिट्टी की संरचनाओं और भित्तिचित्रों से भरपूर अंदरूनी हिस्सों को ख़तरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा, ‘हाल के महीनों में साथ लगती पिन घाटी और शिचलिंग क्षेत्र में बादल फटने की घटनाएँ हुई हैं। अगर ऐसी कोई घटना मठ के और करीब होती है, तो यहां मिट्टी से बनी संरचनाओं को अपूरणीय क्षति हो सकती है।’

दीवारों से रिसता है पानी, लकड़ी के खंभों में दरारें

पुजारी ने कहा कि संरचनाओं और भित्तिचित्रों को पहले ही कुछ नुकसान हो चुका है। जब भी भारी बारिश होती है, दीवारों से पानी रिसता है। कई मंदिरों में लकड़ी के खंभों में दरारें आ गई हैं। मैत्रेय मंदिर में पानी रिसने के कारण दीवारें फूल गई हैं। उन्होंने कहा,‘हम चाहते हैं कि एएसआई स्मारकों को और ख़राब होने से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए।’ स्मारकों के आसपास जलभराव एक और समस्या है जिसका वे सामना कर रहे हैं। मठ में अस्थायी सुरक्षात्मक छत और एक बेहतर जल निकासी की आवश्यकता है

Advertisement