डॉलर की तेज मांग से दबाव में रुपया, आरबीआई ने कहा—किसी स्तर का लक्ष्य नहीं
दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में आयोजित वीकेआरवी राव स्मृति व्याख्यान में उन्होंने बताया कि मुद्रा विनिमय दरें पूरी तरह बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर होती हैं। उन्होंने कहा, डॉलर की मांग बढ़ने पर रुपया कमजोर होता है और रुपये की मांग बढ़ने पर घरेलू मुद्रा मजबूत होती है।
मल्होत्रा ने भरोसा दिलाया कि भारत के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त मजबूत भंडार है और बाहरी क्षेत्र के लिए किसी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही सकारात्मक व्यापार समझौता होगा, जिससे चालू खाते पर बना दबाव कम होगा।
हालिया उतार-चढ़ाव की बात करें तो अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में निकट भविष्य में कटौती की कम संभावनाओं ने डॉलर को शक्तिशाली बनाया है। इसके चलते बृहस्पतिवार को रुपया 23 पैसे गिरकर 88.71 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। डॉलर सूचकांक 100 के स्तर को पार कर चुका है, जिससे घरेलू मुद्रा पर और दबाव बना है।
बैंकिंग क्षेत्र पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में गवर्नर ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली का प्रदर्शन बेहद मजबूत है और जल्द ही कई भारतीय बैंक दुनिया के शीर्ष 100 वैश्विक ऋणदाताओं की सूची में शामिल हो सकते हैं।
