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अडाणी, मणिपुर मुद्दे पर हंगामा तय

संसद सत्र आज से, सरकार की सुचारु संचालन की अपील
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नयी दिल्ली में रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू। -प्रेट्र
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नयी दिल्ली, 24 नवंबर (एजेंसी)

सोमवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसमें अडाणी, मणिपुर मुद्दे पर हंगामा तय है। विपक्षी दलों ने रविवार को केंद्र से अडाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा कराने की मांग की, वहीं केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि दोनों सदनों में उठाए जाने वाले मामलों पर संबंधित अध्यक्ष की सहमति से अधिकृत समितियां निर्णय लेंगी।

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सत्र की पूर्व संध्या पर परंपरा के अनुसार सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने सभी दलों से संसद का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने की अपील की है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में 30 दलों के 42 नेताओं ने भाग लिया। मणिपुर में अशांति सहित अन्य कई मामलों के अलावा अडाणी मुद्दे पर ‘प्राथमिकता’ के आधार पर चर्चा कराने की कांग्रेस की मांग पर रिजिजू ने कहा कि सदनों की संबंधित कार्य मंत्रणा समितियां लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की सहमति से संसद में चर्चा किए जाने वाले मामलों पर निर्णय लेंगी। बैठक में इस मामले को उठाते हुए लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने अडाणी मुद्दे को घोटाला करार दिया और कहा कि सरकार को किसी भी तकनीकी आधार पर उनकी मांग को अस्वीकार या नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय संस्थाओं और निवेशकों से जुड़ा मामला है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी कहा कि सरकार को अन्य कार्यों को अलग रखकर इस मुद्दे पर प्राथमिकता के आधार पर चर्चा करानी चाहिए। मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाते हुए गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डाल दिया और हिंसा में कथित संलिप्तता के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर अपना भरोसा बनाए रखा। उन्होंने कहा कि इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है और 20 दिसंबर तक चलेगा।

बैठक में आंध्र प्रदेश में भाजपा के दो सहयोगी दलों तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) और जन सेना पार्टी ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत 2014 में राज्य के विभाजन के दौरान किए गए वादों के लंबित कार्यान्वयन का मुद्दा उठाया और कहा कि संसद को उनकी वर्तमान स्थिति पता होनी चाहिए। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरुचि शिवा, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और लोजपा (रामविलास) सांसद अरुण भारती सहित अन्य नेता शामिल हुए। शिवा ने केंद्र से वक्फ (संशोधन) विधेयक वापस लेने को कहा, जिसे सरकार सत्र में पेश करने के लिए उत्सुक है।

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