SIR पर सदन में हंगामा, विपक्ष ने की चर्चा की मांग, दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
Parliament Monsoon Session: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक और फिर दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की कार्यवाही भी पहले दोपहर बारह बजे और फिर दिनभर के लिए तक स्थगित कर दी गई। विपक्षी सांसदों ने मकरद्वार पर भी एसआईआर के विरोध में प्रदर्शन किया।
विपक्षी दलों के सांसदों ने बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर शुक्रवार को भी लोकसभा में हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के तीन मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया, तभी विपक्षी दलों के सदस्य एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से अपनी सीटों पर बैठने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘सदन की गरिमा को बनाकर रखिए। प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण समय होता है।''
उन्होंने सदस्यों के नारेबाजी करने और तख्तियां दिखाने पर निराशा प्रकट करते हुए कहा कि विपक्षी सदस्य प्रश्नकाल में अन्य सदस्यों के प्रश्न पूछने का और सरकार को जवाबदेह ठहराने का अधिकार नहीं छीन सकते। बिरला ने कहा कि यह सदस्यों का गलत तरीका और गलत आचरण है।
हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर तीन मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत बीते 21 जुलाई को हुई थी और निचले सदन में केवल दो दिन, गत मंगलवार और बुधवार को प्रश्नकाल हो पाया है।
वहीं, विपक्षी ‘इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन के घटक दलों के सांसदों ने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए कई नोटिस दिए हैं।
विपक्ष के एक नेता के अनुसार, लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव और राज्यसभा में नियम 267 के तहत बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर चर्चा की मांग के लिए नोटिस दिए गए हैं। नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।''
विपक्षी नेता ने बताया कि उन्होंने नोटिस में कहा है कि इस प्रक्रिया के लिए लोगों के लिए नागरिकता प्रमाण देना आवश्यक है, जो संविधान के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि निर्वाचन आयोग का यह कदम संसद के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है, क्योंकि अनुच्छेद 11 संसद को कानून द्वारा नागरिकता के अधिकार को विनियमित करने का अधिकार देता है।
‘इंडिया' गठबंधन के दल एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और उन्होंने मानसून सत्र के दौरान संसद के अंदर और बाहर बार बार विरोध प्रदर्शन भी किए हैं। विपक्ष अगले हफ़्ते भारत निर्वाचन आयोग मुख्यालय तक मार्च निकालने की भी योजना बना रहा है।