राज्यसभा में हंगामा: CISF तैनाती को लेकर विपक्ष का सरकार पर हमला
Rajya Sabha राज्यसभा में मंगलवार को अभूतपूर्व हंगामा देखने को मिला जब सदन के भीतर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों की कथित तैनाती को लेकर विपक्ष और सरकार आमने-सामने आ गए। विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया, जबकि सरकार ने स्पष्ट किया कि सदन में केवल 'मार्शल' ही मौजूद थे।
हंगामे की शुरुआत तब हुई जब उपसभापति हरिवंश ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र को मीडिया में साझा करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “संवैधानिक पदों के बीच संवाद गोपनीय रहना चाहिए। विपक्ष नियम 267 का दुरुपयोग कर रहा है—नोटिस न माने जाने पर चर्चा छोड़कर व्यवधान अपनाया जा रहा है।”
उपसभापति ने जानकारी दी कि आज नियम 267 के तहत 34 नोटिस मिले, जिनमें अधिकांश राज्य अधिकार क्षेत्र या विचाराधीन मामलों से संबंधित थे, इसलिए उन्हें स्वीकार नहीं किया गया। इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सभी खारिज नोटिसों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की।
इसी बीच नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए पूछा, “अगर CISF को सदन के भीतर बुलाया गया है, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है। क्या सदन अब गृह मंत्री अमित शाह चला रहे हैं?” इस टिप्पणी ने सत्ता पक्ष को उग्र कर दिया और शोर-शराबा और बढ़ गया।
सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पलटवार करते हुए कहा, “खड़गे सदन को गुमराह कर रहे हैं। अंदर कोई CISF नहीं, केवल मार्शल मौजूद थे। उन्होंने पत्र लीक क्यों किया, इसका जवाब देना चाहिए।”
विपक्ष की ओर से डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा, “जब भगत सिंह ने केंद्रीय विधान परिषद में बम फेंका था, तब अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल ने गृह सदस्य से सुरक्षा बल हटाने को कहा था। यही है संसद की गरिमा।” सदन में हंगामा बढ़ता देख उपसभापति हरिवंश ने बैठक दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी।