आरएसएस मान्यता प्राप्त संगठन, पंजीकृत तो हिंदू धर्म भी नहीं : भागवत
आरएसएस की ओर से आयोजित एक आंतरिक प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान भागवत ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी, तो क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराते? आजादी के बाद भारत सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं बनाया। हमें व्यक्तियों के निकाय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।’ उन्होंने कहा कि आयकर विभाग और अदालतों ने आरएसएस को व्यक्तियों का एक निकाय माना है और संगठन को आयकर से छूट दी गई है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हम पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया। ऐसे में सरकार ने हमें मान्यता दी है। अगर हमारा अस्तित्व नहीं था, तो उन्होंने किस पर प्रतिबंध लगाया?’
आरएसएस द्वारा केवल भगवा ध्वज का सम्मान करने और तिरंगे को मान्यता नहीं देने के सवाल पर भागवत ने कहा कि आरएसएस में भगवा को गुरु माना जाता है, लेकिन वह भारतीय तिरंगे का बहुत सम्मान करता है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘हमने हमेशा अपने तिरंगे का सम्मान किया है और उसकी रक्षा की है।’
भागवत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल में कहा था कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने भी सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने आरएसएस की पंजीकरण संख्या और उसके वित्तपोषण के स्रोत पर भी सवाल उठाए थे।
पाक के साथ भारत के रिश्ते पर, भागवत ने कहा कि संघ हमेशा पाकिस्तान के साथ शांति चाहता है। उन्होंने कहा, ‘यह पाकिस्तान है, जो शांति नहीं चाहता। अगर पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करता, तो एक दिन कड़ा सबक सीखेगा। लड़ाई करने से बेहतर सहयोग करना है। लेकिन हमें उसी भाषा में बोलना होगा, जो वे समझते हैं।’
‘राम मंदिर आंदोलन में कांग्रेस साथ देती तो उसका समर्थन करते’
भागवत ने कहा कि आरएसएस किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा, ‘हम वोट की राजनीति, वर्तमान राजनीति, चुनावी राजनीति आदि में हिस्सा नहीं लेते। संघ का काम समाज को एकजुट करना है और राजनीति स्वभाव से विभाजनकारी है, इसलिए हम राजनीति से दूर रहते हैं।’ आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि संघ नीतियों का समर्थन करता है, न कि किसी व्यक्ति या पार्टी का। राम मंदिर निर्माण आंदोलन का उदाहरण देते हुए, भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने इस आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘भाजपा भी (समर्थन करने के लिए) थी। अगर कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी इसका समर्थन करती, तो हम उनका भी समर्थन करते।’ भागवत ने कहा, ‘हमें किसी एक पार्टी के प्रति खास लगाव नहीं है। संघ का कोई दल नहीं है। कोई दल हमारा नहीं है और सभी दल हमारे हैं, क्योंकि वे भारतीय हैं।’
