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RSS ने की प्रस्तावना समीक्षा की मांग, कांग्रेस ने बताया संविधान विरोधी एजेंडा

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) Constitution Preamble: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और...

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नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा)

Constitution Preamble: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी बीआर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे। वहीं, होसबाले के बयान के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने RSS और भाजपा पर ‘‘संविधान विरोधी'' होने का आरोप लगाया।

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होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में ‘‘समाजवादी'' और ‘‘धर्मनिरपेक्ष'' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान किया है। कांग्रेस ने कहा कि वह भाजपा-RSS की 'साजिश' को कभी सफल नहीं होने देगी और ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी। कांग्रेस ने ‘एक्स' पर पोस्ट में कहा, ‘‘RSS-भाजपा की सोच संविधान विरोधी है। अब RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव की मांग की है।''

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विपक्षी दल ने दावा किया कि होसबाले चाहते हैं कि संविधान की प्रस्तावना से "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्द हटा दिए जाएं। कांग्रेस ने कहा, "यह बाबा साहब के संविधान को नष्ट करने की साजिश है, जिसे RSS-भाजपा लंबे समय से रच रही है।"

विपक्षी दल ने दावा किया कि जब संविधान लागू हुआ था तब RSS ने इसका विरोध किया था, इसकी प्रतियां जलाई थी। कांग्रेस ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में तो भाजपा के नेता खुलकर कह रहे थे कि हमें संविधान बदलने के लिए संसद में 400 से ज्यादा सीट चाहिए। अब एक बार फिर वे अपनी साजिशों में लग गए हैं, लेकिन कांग्रेस किसी कीमत पर इनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी।''

RSS ने संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी बी आर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे। आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए होसबाले ने कहा, ‘‘बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।"

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। होसबाले ने कहा, ‘‘इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।''

होसबोले ने कहा, "प्रस्तावना शाश्वत है। क्या समाजवाद के विचार भारत के लिए एक विचारधारा के रूप में शाश्वत हैं?" वरिष्ठ RSS पदाधिकारी ने दोनों शब्दों को हटाने पर विचार करने का सुझाव ऐसे समय दिया जब उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौर की ज्यादतियों के लिए निशाना साधा और पार्टी से माफी की मांग की।

पच्चीस जून 1975 को घोषित आपातकाल के दिनों को याद करते हुए होसबाले ने कहा कि उस दौरान हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया और उन पर अत्याचार किया गया, वहीं न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया। RSS नेता ने कहा कि आपातकाल के दिनों में बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने ऐसी चीजें कीं, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने अभी तक माफी नहीं मांगी है...वे माफी मांगें।'' कांग्रेस पर हमला करते हुए होसबाले ने कहा, ‘‘आपके पूर्वजों ने ऐसा किया... आपको इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।''

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