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RIP Siddharth Yadav : शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को दी नम आंखों से विदाई, मंगेतर बोली- एक बार चेहरा दिखा दो

अंतिम संस्कार में उमड़े हजारों लोग, पिता ने मुखाग्रि दी तो रो पड़े, एयरफोर्स की टुकड़ी ने फायर कर दी अंतिम सलामी
शुक्रवार को रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा में शहीद सिद्धार्थ यादव के पार्थिव शरीर पर विलाप करते हुए मां सुशीला देवी व मंगेतर सानिया
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तरुण जैन/रेवाड़ी, 4 अप्रैल (हप्र)

RIP Siddharth Yadav : गुजरात के जामनगर में बुधवार की रात को क्रैश हुए फाइटर जगुआर प्लेन में शहीद हुए रेवाड़ी के जांबाज फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव का शुक्रवार को जब उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया तो हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़े। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था, जिसकी आंखों में आंसू नहीं थे।

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पिता ने जब युवा बेटे की अर्थी को कंधा दिया तो वे फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने अपलक निहारते हुए बेटे को मुखाग्रि दी। मंगेतर रोते हुए बोली एक बार चेहरा तो दिखा दो। एयरफोर्स की आई टुकड़ी ने शस्त्र झुकाकर व फायर करके अपने लाडले होनहार पायलट सिद्धार्थ यादव को अलविदा कहा।

जिस शहीद सिद्धार्थ यादव को देश सेवा के लिए अभी लंबा सफर तय करना था। लेकिन उनका सफर उस समय थम गया, जब 2 अप्रैल की रात 9 बजे लड़ाकू विमान जगुआर उड़ाते समय उसमें अचानक तकनीकी खराबी आ गई और प्लेन जामनगर के पास ही क्रैश हो गया। प्लेन के टुकड़े हो गए और आग लग गई। इस दिल दहला देने वाले हादसे में सिद्धार्थ यादव वीरगति को प्राप्त हो गए, लेकिन वे प्लेन में बैठे अपने साथी मनोज कुमार सिंह की जान बचा गए। सिद्धार्थ ने मनोज की ही नहीं, बल्कि प्लेन को घनी आबादी में गिरने से बचाकर लोगों की जान भी बचाई।

शुक्रवार को रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा में शहीद सिद्धार्थ यादव को सलामी देते हुए एयरफोर्स की टुकड़ी

जैसे ही यह दुखद समाचार रेवाड़ी रह रहे परिजनों को मिला तो उन पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सिद्धार्थ अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। उनके एक बहन छोटी बहन खुशी यादव है। यह यादव परिवार मूलरूप से रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा का रहने वाला है। फिलहाल यह परिवार रेवाड़ी शहर के सेक्टर-18 में रह रहा है। सिद्धार्थ पिछले दिनों छुट्टी पर घर आये थे और 23 मार्च को ही उनकी युवती सानिया से सगाई हुई थी। विवाह की तिथि 2 नवम्बर तय कर दी गई थी। सिद्धार्थ 31 मार्च को ड्यूटी पर लौट गए थे। 2 अप्रैल की रात को हुए हादसे ने पूरे परिवार के सपनों को तार-तार कर दिया।

शुक्रवार की सुबह शहीद सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर लेकर एयरफोर्स की टुकड़ी उनके रेवाड़ी स्थित निवास पर पहुंची। यहां उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए सैकड़ों लोग जमा थे। यहां से काफिले के रूप में उनकी अंतिम यात्रा चली और गांव भालखी माजरा पहुंची। यहां भी हजारों लोग दिवंगत सिद्धार्थ की झलक देखने और श्रद्धांजलि देने लोग उमड़ पड़े। घर से पिता सुशील यादव अपने कंधों पर युवा बेटे की अर्थी लेकर चले तो उनकी हालात को लोग देख नहीं पा रहे थे। मां सुशीला देवी को यकीन ही नहीं हो रहा था के उसके कलेजे का टुकड़ा अब नहीं रहा।

मंगेतर सानिया शमशान घाट भी पहुंची। वह पार्थिव शरीर को देखकर रोती हुई बोली कि मुझे एक बार सिद्धार्थ का चेहरा दिखा दो। उसे सिद्धार्थ की शहादत पर गर्व है। मां सुशीला ने कहा कि उसे ऐसे बहादुर बेटे की जननी होने पर अभिमान है। वह देश सेवा के लिए गया था और देश के लिए ही काम आ गया। एयरफोर्स से रिटायर्ड पिता सुशील यादव ने कहा कि उसे बहुत बड़ा अधिकारी बनना था। लेकिन यह सपना टूट गया। वह बहुत ही मेधावी और बहादुर बेटा था। सिद्धार्थ यादव ने 2016 में एनडीए की परीक्षा पास की थी और वायुसेना के फाइटर पायलट बने थे। 2 साल बाद पदोन्नति मिलने पर फ्लाइट लेफ्टिनेंट बने।

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