RIP Dharmendra : संसद में कम उपस्थिति, बहसों में सीमित भागीदारी पर उठे थे सवाल; अधिक नहीं चला धर्मेंद्र का राजनीतिक सफर
RIP Dharmendra : दशकों तक धर्मेंद्र ने बड़े पर्दे पर राज किया, लेकिन 2004 में उन्होंने फिल्म सेट की जगह राजनीतिक रैलियां कीं। राजस्थान के बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। लुधियाना के पास साहनेवाल के मूल निवासी धर्मेंद्र के पंजाबी आकर्षण ने राजस्थान के मतदाताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उनके प्रचार अभियान में भारी भीड़ उमड़ती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, जबकि धर्मेंद्र अपने चुनावी पदार्पण में ही सफल रहे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर लाल डूडी को लगभग 60,000 मतों से हराया। हालांकि, संसद में पहुंचने के बाद, उनका राजनीति से जल्द ही मोहभंग हो गया। संसद में उनकी उपस्थिति कम थी और बहसों में उनकी सीमित भागीदारी पर सवाल उठे थे। वर्ष 2008 में एक साक्षात्कार में धर्मेंद्र ने राजनीति से अपने मोहभंग के बारे में बात की थी जब उन्होंने फिल्मी सितारों को एक सलाह दी थी।
धर्मेंद्र ने कहा था कि मैं यह नहीं कहूंगा कि राजनीति में आना कोई गलती थी, लेकिन हां, एक अभिनेता को राजनीति में नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे दर्शकों और प्रशंसकों के बीच सामान्य स्वीकृति में विभाजन पैदा होता है। अभिनेता को हमेशा अभिनेता ही रहना चाहिए। मेरे लिए, इन सभी वर्षों में अपने प्रशंसकों से मिला प्यार और समर्थन ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। संसद में कम उपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर धर्मेंद्र ने कहा था कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा कौन कहता है? मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं से हमेशा जुड़ा रहता हूं। बीकानेर के कूड़ाघर एवं सूर सागर की सफाई से लेकर बच्चों की स्कूल फीस कम करने, रंगमंच के जीर्णोद्धार और पुलों के निर्माण तक, मैं हर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहा हूं। धर्मेंद्र ने साक्षात्कार में कहा था कि बीकानेर स्थित मेरा कार्यालय मुझे नियमित रूप से लोगों की मांगों से अवगत कराता है। मैं किसान परिवार से हूं, इसलिए मैं उनकी समस्याओं को समझता हूं। और यह कोई राजनीति नहीं है।
मैं भावुक लेकिन दृढ़ व्यक्ति हूं, ये आलोचनाएं मेरे इरादे नहीं तोड़ सकतीं। मैंने कभी भी ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ नहीं किया, चाहे अभिनय में हो या राजनीति में। उनका कार्यकाल 2009 में समाप्त हो गया और उन्होंने फिर कभी इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 2010 में लुधियाना में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में, धर्मेंद्र ने राजनीति में कदम रखने पर अफसोस व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि राजनीति में मुझे घुटन महसूस होती थी। मुझे भावनात्मक रूप से इस क्षेत्र में घसीटा गया। जिस दिन मैंने हामी भरी, मैं शौचालय गया और शीशे में अपना सिर पटककर अपने किए पर पछतावा किया। राजनीति ऐसी चीज है जो मैं कभी नहीं करना चाहता था। मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र बीकानेर के लोगों के लिए जितना काम किया, उतना आज तक किसी ने नहीं किया। कुछ साल बाद, धर्मेंद्र की पत्नी, अभिनेत्री हेमा मालिनी ने भाजपा के टिकट पर मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़ा।
