ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 30 जून। पंजाब विधानसभा ने गुरुवार को ध्वनिमत के साथ केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई अग्निपथ योजना के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया गया। पंजाब सरकार तथा विपक्षी दल कांग्रेस व अकाली दल पंजाब में इस योजना का विरोध करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इस मुद्दे को लेकर बहुत जल्द गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। बृहस्पतिवार को बजट सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सदन में यह प्रस्ताव रखते हुए कहा कि फौज में जाना आसान नहीं है।
17 साल का लड़का जब अग्निवीर बनेगा तो उसे कब आप 10वीं या 12वीं या टेक्निकल कोर्स करवाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरीके के उपरांत और शेखचिल्ली सपने दिखाने बंद करने चाहिए क्योंकि अग्निवीर को न तो पेंशन मिलेगी और न ही कैंटीन की सुविधा। भाजपा विधायक अश्विनी शर्मा ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि तीनों सेनाओं के अध्यक्ष इस योजना का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि सेना और देश की सुरक्षा के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।
शर्मा ने कहा कि इससे नौकरी के रूप में क्यों पेश किया जा रहा है यह तो सेवा है। अश्वनी शर्मा ने कहा कि पहले ही यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत युवा सेना में चले जाएंगे और 10 फ़ीसदी सीआरपीएफ व अर्धसैनिक बलों में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि मुझे तो उम्मीद थी कि आज मुख्यमंत्री यह कहेंगे कि अग्निवीरों को वह पंजाब पुलिस में प्राथमिकता देंगे जैसा कि उत्तर प्रदेश और असम की सरकार ने किया है।
प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि ठेके पर नौकरी करने वाली लड़ाई नहीं लड़ेंगे। एक अग्निवीर साढ़े तीन साल की नौकरी करने के बाद अगर उसके सामने में यह स्थिति आएगी उसे लड़ाई लडऩी पड़े तो वह क्या सोचेगा। बाजवा ने कहा कि सेना अधिकारियों से तो सरकार कुछ भी बुलवा सकती है। 99 फीसदी रिटायर्ड सेना अधिकारियों इस योजना के खिलाफ हैं।
बाजवा ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि 25 फीसदी सेना में चले जाएं और बाकी के 75 फीसदी को पैरामिलिट्री फोर्स में शामिल किया जाए। बाजवा ने सीएम के प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने सदन में प्रस्ताव पेश किया और उसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।