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रिपोर्ट में खुलासा : GST के बाद तिजोरी खाली, समाहित करों से ज्यादातर राज्यों का राजस्व घटा

राज्यों का कुल राजस्व 2023-24 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 5.5 प्रतिशत रहा

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जीएसटी में समाहित करों से ज्यादातर मामले में राज्यों को प्राप्त कुल राजस्व कम हुआ है। कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में जीएसटी-पूर्व व्यवस्था की तुलना में उनके कर-जीएसडीपी अनुपात में सुधार देखा गया है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी लागू होने के बाद से, इसमें शामिल करों से राज्यों का कुल राजस्व 2023-24 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.5 प्रतिशत रहा। 2015-16 (जीएसटी-पूर्व व्यवस्था में) में यह जीडीपी का 6.5 प्रतिशत था। कर सुधार के रूप में 2017 में लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र और राज्य स्तर पर कई कर और शुल्क समाहित हुए। इनमें मूल्य वर्धित कर (वैट), केंद्रीय बिक्री कर, उत्पाद शुल्क और प्रवेश कर शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी के सात वर्षों में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में औसत एसजीएसटी (2.6 प्रतिशत) जीएसटी से पहले के चार पूर्ण वर्षों में सम्मिलित औसत करों से कम रहा है।

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राज्यों को पहले पांच वर्षों के दौरान एसजीएसटी राजस्व में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की गारंटी दी गई थी। जिन राज्यों के राजस्व में यह वृद्धि नहीं हो पाई, उन्हें जून, 2022 तक जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर से प्राप्त राजस्व के माध्यम से क्षतिपूर्ति प्रदान की गई। वित्त वर्ष 2015-16 से पहले के चार वर्षों में, राज्यों को उन करों से सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 2.8 प्रतिशत प्राप्त हुआ, जिन्हें बाद में जीएसटी में समाहित कर दिया गया। जीएसटी के पहले पूर्ण वर्ष में राजस्व घटकर 2.7 प्रतिशत रह गया और कोविड-19 के वर्ष 2020-21 में और घटकर 2.3 प्रतिशत रह गया। वहीं 2024-25 में यह फिर से बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो गया। राज्यों के बीच महत्वपूर्ण भिन्नता है। मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम जैसे कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में जीएसटी-पूर्व व्यवस्था की तुलना में उनके कर-जीएसडीपी अनुपात में सुधार देखा गया है।

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रिपोर्ट के अनुसार, इसकी तुलना में पंजाब, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे अन्य राज्यों के जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में सम्मिलित करों से राजस्व में अपेक्षाकृत बड़ी गिरावट आई है। इसमें यह भी कहा गया है कि जीएसटी परिषद द्वारा दरों को युक्तिसंगत बनाने के तहत पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो मानक स्लैब के हाल के निर्णय के साथ चुनिंदा वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की विशेष दर का एसजीएसटी राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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